शिक्षा: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ाने आईआईटी मुंबई से करार
नए पाठ्यक्रमों में मान्यता देने का निर्णय
डिजिटल डेस्क, नागपुर । तकनीकी क्षेत्र में बड़े बदलाव के साथ आर्टिशियल इंटेलिजंस (एआई) ने कई चुनौतियां निर्माण की है। ऐसे में अब इसे सीखने के साथ इसके दुरूपयोग को रोकने की भी चर्चा शुरू हो गई है। इस दिशा में बड़ी पहल करते हुए राज्य सरकार ने एआई को ज्यादा से ज्यादा महाविद्यालय में नये पाठ्यक्रमों में मान्यता देने का निर्णय लिया है।
आधुनिक प्रयोगशाला बनाई जाएगी : उच्च व तंत्रशिक्षण मंत्री चंद्रकांतदादा पाटील ने बताया कि राज्य सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इंजीनियरिंग कोर्स के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया है। तंत्रशिक्षण संचालनालय और आईआईटी मुंबई के बीच सामंजस्य करार हुआ है। इस करार अनुसार एआई और मशीन लर्निंग विषय पर अधिक ध्यान केंद्रीय कर आईआईटी मुंबई स्थित विशेषज्ञों की सलाह से राज्य के सभी शासकीय और अशासकीय अनुदानित अभियांत्रिकी संस्थाओं में आधुनिक प्रयोगशाला निर्माण की जाएगी। अध्यापकों को संबंधित क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा। आईआईटी मुंबई और केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवा के लिए एआई के उपयोग बाबत एक उत्कृष्ट केंद्र निर्माण करने के लिए प्रकल्प मंजूर हुआ है। इस केंद्र का लाभ राज्य के सभी शासकीय, अशासकीय अनुदानित अभियांत्रिकी संस्थाओं को होगा।
स्कूलों में भी शुरू करने पर विचार : सोमवार को विधानपरिषद में श्रीकांत भारतीय और सत्यजीत तांबे ने एआई संबंध में प्रश्न उपस्थित किया था। उच्च व तंत्रशिक्षण मंत्री पाटील ने कहा कि इस पर चर्चा होने की जरूरत है। भारत और महाराष्ट्र इसमें पीछे नहीं रहेगा। नये इंजीनियरिंग कॉलेज में यह कोर्स शुरू किया जाएगा। यह डिमांड लगातार बढ़ भी रही है। नई शैक्षणिक नीति में इसे स्वीकारा गया है। स्कूलों में भी इसे शुरू करने पर विचार जारी है। जल्द एक संयुक्त बैठक लेकर इस पर चर्चा की जाएगी।
ड्रोन मिशन तैयार किए जा रहे हैं : उन्होंने बताया कि राज्य के कुछ विभागों की समस्या पर ड्रोन के माध्यम से कौन से उपाय योजना किए जा सकते हैं, इसे लेकर संबंधित विभाग द्वारा सूचा लेकर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी मुंबई की मदद से राज्य के ड्रोन मिशन तैयार किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र ड्रोन मिशन के संनियंत्रण व समन्वय के रूप में उच्च व तंत्रशिक्षण विभाग काम कर रहा है। उक्त ड्रोन मिशन के माध्यम से कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन, गृह, जलसंपदा, सार्वजनिक निर्माण व ग्रामविकास सहित विविध विभागों की समस्या का विश्लेषण व उपाय करते समय कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डाया सायंस का बड़े पैमाने पर उपयोग होगा।