सेहत बिगड़ी: मौसम, प्रदूषण से ट्रैफिक पुलिसकर्मी परेशान, मधुमेह- उच्च रक्तदाब से भी पीड़ित
- 5 फीसदी मधुमेह, 3 फीसदी उच्च रक्तदाब से पीड़ित
- सनबर्न, फेफड़ों की शिकायत बढ़ी
- अभी 2% मामले
- 850 ट्रैफिक पुलिस, 650 की होगी पूरी जांच
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आम जनों की सुरक्षा के लिए दिन-रात तैनात रहनेवाले पुलिसकर्मियों का स्वास्थ्य कई कारणों से बिगड़ रहा है। सर्वाधिक समस्या यातायात पुलिसकर्मियों में देखी जा रही है। उनमें पहली समस्या त्वचा रोग की होती है। इसके अलावा फेफड़ों की बीमारी व वैरिकोज वेन्स नामक बीमारियां घेर लेती हैं। फिलहाल शहर में इन बीमारियों का प्रमाण दो फीसदी बताया गया है। वर्तमान में शहर में कुल 8230 पुलिसकर्मी हैं। इनमें यातायात पुलिसकर्मियों की संख्या 850 बताई गई है।
इस तरह होती है त्वचा की बीमारी
यातायात पुलिसकर्मियों को होने वाली प्रमुख बीमारी में त्वचा राेग शामिल हैं। उन्हें सनबर्न होता है। यातायात पुलिसकर्मियों में यह समस्या आम हो चुकी है। हालांकि जिन्हें पहले से सूर्य की रोशनी की एलर्जी है, उनमें सनबर्न की शिकायत अधिक होती है। लंबे समय तक उपचार नहीं करने पर यह बीमारी सुधर पाना मुश्किल हो जाता है।
धुआं-प्रदूषण से फेफड़ों की बीमारी
फेफड़ों की बीमारियां होने का प्रमुख कारण वाहनों का धुआं, प्रदूषण व धूल-मिट्टी होता है। यातायात पुलिसकर्मी अपने ड्यूटी प्वाइंट पर सेवारत रहते हुए हजारों वाहन उसके करीब से गुजरते हैं। इन वाहनों से निकलनवाला धुआं सीधे यातायात पुलिसकर्मियों की सांसों के साथ शरीर में प्रवेश करता है। इसके अलावा धूल-मिट्टी के कण भी उनके शरीर के भीतर प्रवेश कर जाते हैं। इस कारण फेफड़ों की बीमारियां हो जाती है।
लंबे समय तक खड़े रहने से वैरिकोज वेन्स
लंबे समय तक खड़े रहने से वैरिकोज वेन्स नामक बीमारी हो जाती है। यह बीमारी भी यातायात पुलिसकर्मियों को होती है। यह टांग से संबंधित बीमारी है। जब नसें ठीक तरह से काम नहीं कर पाती हैं, तब वैरिकोज वेन्स की समस्या पैदा होती है। नसों की एक तरफ का वॉल्व रक्त प्रवाह को रोक देता है। जब रक्त प्रवाह रुक जाता है तो रक्त हृदय तक नहीं पहुंच पाता है। वह नसों में ही जमने लगता है। तब नसों का आकार बढ़कर तकलीफ शुरू होती है। सूत्रों ने बताया कि विविध बीमारियों से ग्रस्त पाए जाने के कारण कुछ पुलिसकर्मियों का सुविधाजनक स्थानों पर तबादले किए गए हैं। 13 फरवरी को पुलिस मुख्यालय में 650 यातायात पुलिसकर्मियों की पूर्ण स्वास्थ्य जांच की जाने वाली है। कुछ महीने पहले पुलिसकर्मियों की स्वास्थ्य जांच में 5 फीसदी मधुमेह से, 3 फीसदी उच्च रक्तदाब से पीड़ित पाए गए थे। कोरोना के बाद यह प्रमाण बढ़ने की जानकारी सामने आई थी।
पीने का पानी व छांव नसीब नहीं
शहर में अनेक चौराहे व सड़कें ऐसी हैं, जहां यातायात पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगने पर उन्हें खड़ा रहने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। यहां तक कि समय पर खाना व पीने का पानी तक नहीं होता। परिणामस्वरूप पुलिसकर्मियों के शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। पुलिस अस्पताल सूत्रों के अनुसार, फिलहाल नागपुर में उपरोख्त तीनों बीमारियों का प्रमाण कम यानी दो फीसदी है, लेकिन बढ़ती आबादी के साथ वाहनों की संख्या बढ़ी है। इसके साथ चारों ओर निर्माणकार्य और वाहनों में कई तरह की सामग्रियों का आयात निर्यात के कारण आबोहवा खराब हो चुकी है। इस बीच पुलिसकर्मियों को रहना पड़ता है। ऐसे में भविष्य में पुलिसकर्मियों में बीमारियों का संकट बना हुआ है।
नियमों का पालन नहीं इसलिए भाग-दौड़
सूत्रों के अनुसार, ड्यूटी प्वाइंट पर ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जहां पुलिसकर्मियों को पीने का पानी, छांव आदि आसानी से उपलब्ध हो सके। स्मार्ट पुलिस बूथ बने हैं, लेकिन उन्हें चौराहे या सड़कों पर ही काम करना पड़ता है। इन तमाम समस्याओं को देखते हुए सरकार और आला अधिकारियों ने स्मार्ट व्यवस्था करने की आवश्यकता जताई है।