खुलासा: 12 सौ से अधिक स्कूलों में पीने का शुद्ध पानी नहीं, आरओ मशीन नदारद

  • यू-डायस प्लस पोर्टल की जानकारी में खुलासा
  • शुद्ध पानी के लिए आरओ मशीन नहीं
  • सुविधाओं के मामले में उदासीनता

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-16 14:21 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पीने का शुद्ध पानी नहीं मिलने पर बीमारियों का खतरा बना रहता है। बरसात के दिनों में यह संभावना अधिक होती है। नलों में आनेवाले दूषित पानी से बीमारियों का फैलाव आम बात हो चुकी है। दूषित पानी के कारण डिहाइड्रेशन, पेट की बीमारियां, टाइफाइड, संक्रामक बीमारियां, वायरल, गैस्ट्रो जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। वर्तमान में हर घर में कोई न कोई मौसमी बीमारी से परेशान है। इन हालातों के बीच एक और जानकारी सामने आई है। जिले की 1200 से अधिक स्कूलों में पीने का शुुद्ध पानी उपलब्ध नहीं है। सरकारी यू-डायस प्लस पोर्टल (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस) पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इन स्कूलों में आरओ उपलब्ध नहीं है।

सुविधाओं के मामले में उदासीनता

सूत्रों के अनुसार जिले में सभी माध्यमों और आस्थापनाओं के कुल 3975 स्कूल हैं। इसमें शहरी भाग में यूआरसी अंतर्गत प्राथमिक 680, यूआरसी 2 अंतर्गत माध्यमिक के 520 और यूआरसी 3 से 5 अंतर्गत 124 से अधिक स्कूल हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में जिला परिषद की 1511 व अन्य सभी माध्यम की मिलाकर कुल 3975 स्कूले हैं। इसमें सरकारी और निजी स्कूलो शामिल हैं। अध्ययन करनेवाले बच्चों का आधे से अधिक समय स्कूलों में जाता है। ऐसे में बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध कराना स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी होती है। सूत्रों के मुताबिक अधिकतर स्कूल प्रबंधन सुविधाओं के मामले में उदासीनता बरतते हैं। जिले में की अधिकतर स्कूलों में पीने के पानी के लिए आवश्यक आरओ नहीं होना, आश्चर्य की बात है। यू-डायस पोर्टल पर इसकी जानकारी उपलब्ध है। इन स्कूलों की निगरानी व नियंत्रण की जिममेदारी शिक्षा विभाग की बताई गई है। जबकि शिक्षा विभाग स्कूलों में आवश्यक मूलभूत सुविधाओं के प्रति गंभीर नहीं है। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों की नियमित जांच नहीं करने की चर्चा है।

टंकी में जमा होता है दूषित जल

सूत्रों ने बताया कि अधिकतर स्कूलों में पीने के पानी के लिए टंकी लगायी गई है। इन टंकियों की सफाई की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। टंकी को नियमित रुप से साफ नहीं किये जाने से वहां कचरा, मलबा जमा हो जाता है। नल से आनेवाला पानी टंकी में संग्रहित किया जाता है। इसी टंकी का पानी ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को पीना पड़ता है। बताया जाता है कि नल का पानी शुद्ध होने के बावजूद जब व टंकी में जाता है तो दूषित हो जाता है। इससे विविध बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली बच्चों को होनेवाली बीमारियों का एक कारण स्कूलों में दूषित पानी पीना है।

स्कूलों की निगरानी करता यू-डायस

केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 2013 में यू-डायस प्लस पोर्टल की शुरुआत की थी। यह स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग अंतर्गत कार्यरत सबसे बड़ी प्रबंधन सूचना प्रणाली है। यह प्रणाली देशभर की 14.89 लाख से अधिक स्कूलों की जानकारी संकलन और निगरानी का कार्य करती है। इस पोर्टल पर देशभर की स्कूलों की जानकारी, प्रबंधन, समस्याएं और सुविधाओं का ब्यौरा संकलित किया जाता है। पोर्टल पर कक्षा 1 से 12 तक के सभी स्कूलों का ब्यौरा है। जो स्कूल इस पोर्टल पर पंजीकृत हैं, उनके लिए एक यू- डायस नंबर जारी किया गया है। यह नंबर इस स्कूल की पहचान है।


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