नागपुर: शिक्षक मान्यता के नए नियम 20 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक, मंडरा रहा खतरा
- शिक्षक संगठनों का आरोप
- सरकारी स्कूलों के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा
डिजिटल डेस्क, नागपुर. राज्य के शिक्षा विभाग ने नई शिक्षक संचमान्यता जारी की है। इसमें 20 विद्यार्थियों के लिए एक शिक्षक मंजूर करने की नीति निर्धारित की है। इस निर्णय से जिप, स्थानीय निकाय के स्कूलों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने की आशंका शिक्षक संगठनों ने व्यक्त की है।
नई मान्यता नीति
20 या इससे कम विद्यार्थी संख्या के स्कूल में शिक्षक का एक पद मंजूर किया जाएगा। 20 से अागे 60 विद्यार्थी संख्या के स्कूल में सेवानिवृत्त एक संविदा शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी। उसके आगे 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक निर्धारित किया जाएगा, लेकिन 16 विद्यार्थियों का पंजीयन होने के बाद ही शिक्षक नियुक्ति का रास्ता साफ होगा।
21 विद्यार्थी के बाद 40 विद्यार्थी पर एक शिक्षक पद मंजूर होगा। नए 21 विद्यार्थियों के पंजीयन के बाद ही शिक्षक नियुक्त किया जाएगा। नई कक्षा अथवा विद्यार्थी संख्या के आधार पर शिक्षक निर्णारण की जटिल शर्तों से शिक्षक नियुक्ति में विलंब होने पर विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है।
6वीं और 7वीं कक्षा के लिए 1 से 35 विद्यार्थियों के लिए 2 शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है। इसके बाद 20 विद्यार्थी संख्या के लिए 2 शिक्षक और 61 के आगे 3 शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे। इन शर्तों के चलते स्थानीय निकाय के स्कूल होने का खतरा बढ़ गया है। शिक्षक मान्यता की नई नीति लागू कर जिप तथा स्थानीय निकाय के स्कूलों को बंद करने का षड़यंत्र रचने की शिक्षा क्षेत्र के जानकारों ने राय व्यक्त की है।
सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए
लीलाधर ठाकरे, जिलाध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति के मुताबिक जिला परिषद तथा अन्य स्थानीय निकाय के स्कूल गरीब िवद्यार्थियों के अधिकार के शिक्षा केंद्र हैं। सरकार की नई शिक्षक मान्यता नीति से स्थानीय निकाय के स्कूलों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।