शिक्षा बोर्ड: अच्छे रिजल्ट के लिए अब शिक्षकों को गाेद दिए जाएंगे पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थी

  • मुख्याध्यापकों को कमजोर विद्यार्थी खोजने की सूूचना
  • नागपुर शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा परिणाम बढ़ाने अपनाया रास्ता
  • कमजोर स्टूडेंट्स की शिक्षकों पर डाली जाएगी जिम्मेदारी
  • मार्च 2024 के नतीजों पर रहा सबसे पीछे

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-01 14:22 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम बढ़ाने के लिए नागपुर बोर्ड ने नया रास्ता अपनाया है। पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को शिक्षकों को गोद दिया जाएगा। मुख्याध्यापक को पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थी खोजने की सूचना दी गई। विद्यार्थियों को विभाजीत कर शिक्षकों पर मार्गदर्शन की जिम्मेदारी दी जाएगी। नकलमुक्त परीक्षा के लिए भी बोर्ड ने कमर कसी है। बोर्ड के विभागीय सहसचिव रवींद्र काटोलकर ने यह जानकारी दी। दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में नागपुर बोर्ड ने अपनी छवी सुधारने के लिए कमर कसी है। महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडल (बोर्ड) ने सेंट उर्सूला गर्ल्स हाईस्कूल सिविल लाइंस में मुख्याध्यापकों की बैठक बुलाई। विभागीय बोर्ड के सहसचिव काटोलकर ने पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को अगल से मार्गदर्शन करने की बोर्ड की योजना से अवगत किया। पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को शिक्षकों को गोद देने के निर्देश दिए। मुख्याध्यापकों से पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को खोजने की सूचना दी। पहचान किए गए पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थी विभाजीत कर उनके मार्गदर्शन की जिम्मेदारी तय करने निर्देश दिए। नकलमुक्त अभियान पर प्रभावी अमल, नए परीक्षा केंद्र स्थापन कर पारदर्शी तथा नि:ष्पक्ष परीक्षा संबंधि मार्गदर्शन किया। विद्यार्थियों का समुपदेशन, विशेष कार्यक्रम का आयोजन, अतिरिक्त अभ्यास परीक्षा आदि शैक्षणिक उपक्रमों पर अमल कर विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ाने का आह्वान किया। सभा का आयोजन नागपुर बोर्ड अध्यक्ष डॉ. माधुरी सावरकर, सचिव चिंतामण वंजारी के दिशा-निर्देश पर किया गया। इस उपक्रम पर अमल करने से परीक्षा परिणाम में वृद्धि होने का काटोलकर ने विश्वास व्यक्त किया।

मार्च 2024 के नतीजों पर रहा सबसे पीछे

दसवीं कक्षा के मार्च 2024 के नतिजों की घोषणा में नागपुर बोर्ड 94.73 फीसदी परीक्षा परिणाम के साथ महाराष्ट्र के 9 बोर्ड में सबसे पीछे रहा। बोर्ड की बिगड़ी छवी को सुधारने के लिए इस बार परीक्षा परिणाम सुधारने की दिशा में यह कदम उठाया गया है। जिस शिक्षक को विद्यार्थी गोद दिए जाएंगे, उसे मार्गदर्शन करना की उसी की जिम्मेदारी रहेगी। परीक्षा परिणाम सामने आने पर उसका मूल्यांकन किया जाएगा।

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