तकनीक: जियोकेमिकल मैपिंग डाटा के लाभ पर वर्कशॉप का आयोजन, डिजिटल प्लेटफार्म पर है जानकारी
- परिणामों का उपयोग हर महत्वपूर्ण पहलुओं पर
- फायदेमंद है तकनीक, लाभ लेने का आह्वान
- वर्कशॉप में जियोकेमिकल मैपिंग और एनजीडीआर के बारे में दी जानकारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नेशनल जियोडाटा रिपॉजिटरी में उपलब्ध जियोकेमिकल मैपिंग डाटा के लाभ पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया सेंट्रल रीजन ने कार्यालय परिसर में किया। उद्घाटन अपर महानिदेशक एवं विभागाध्यक्ष सूरज डो. पाटभाजे ने किया।
20 साल का अथक प्रयास : जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पूरे भारत में नेशनल जियोकेमिकल मैपिंग अभियान की महत्वाकांक्षी परियोजना वर्ष 2001-02 में शुरू की थी। लगभग 20 साल के अथक प्रयासों के बाद साल 2023-24 तक बहुत से क्षेत्रों में जियोकेमिकल मैपिंग की जा चुकी है। जियोकेमिकल मैपिंग से प्राप्त डाटा की मल्टीफंक्शनल लाभ होने के कारण इसे एक राष्ट्रीय स्तर के डिजिटल प्लेटफार्म पर एकत्र किया गया है। जियोकेमिकल मैपिंग से मिले परिणामों का उपयोग खनिजों की खोज करने, पर्यावरण का अध्ययन करने, मिट्टी में उपलब्ध तत्वों की जानकारी लेने और प्रदूषक तत्वों की पहचान करने में किया जा सकता है।
अनुभवी वैज्ञानिक हुए शामिल : वर्कशॉप में जियोकेमिकल मैपिंग और एनजीडीआर के बारे में स्मिता राजपूत, भू-वैज्ञानिक अधीक्षक मीना गुप्ता और भू-वैज्ञानिक डॉ. पी. शिमला ने जानकारी दी। वर्कशॉप का संचालन निदेशक वी. वी. सेसा साई और निदेशक मिलिंद धकाटे ने किया। इसमें आईबीएम, एएमडी, एमईसीएल, डब्ल्यूसीएल, सीजीडब्ल्यूबी, नेशनल ब्यूरो ऑफ सॉइल साइंस, सीट्रस रिसर्च, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान, जैसे कई प्रमुख वैज्ञानिक अध्ययन करने वाले संस्थान, शोध करने वाली एकेडमी से शामिल हुए।
मैराथन में विद्यार्थियों ने लिया भाग : ‘रोग निवारण दिन' के अवसर पर महाराष्ट्र शासन आरोग्य सेवा विभाग की ओर से जागरूकता के लिए मैराथन का आयोजन किया गया, जिसमें जी. एस. कॉलेज ऑफ कॉमर्स के विद्यार्थियों ने उत्साह से भाग लिया, साथ ही महाविद्यालय के एनएसएस विभाग के संयोजक डॉ. वाय. एच. केदार ने स्पर्श कुष्ठ रोग जनजागृति अभियान के अंतर्गत महाविद्यालय के सभी सदस्यों और विद्यार्थियों को जागरूक रहने की शपथ दिलाई।