लखन भैया फर्जी एनकाउंटर: भाई नहीं चाहते दोषियों को फांसी, वकील राम प्रसाद गुप्ता ने याचिका ली वापस
- वकील राम प्रसाद गुप्ता ने फांसी की मांग की याचिका ली वापस
- भाई नहीं चाहते दोषियों को फांसी
- 5 महीने 5 दिन चली सुनवाई के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट में फैसला सुरक्षित
- आरोपियों की 16 याचिकाओं में सेशन कोर्ट के आजीवन कारावास की सजा को चुनौती
डिजिटल डेस्क, मुंबई, शीतला सिंह. राम नारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया फर्जी एनकाउंटर मामले में 12 पुलिसकर्मियों समेत 20 दोषियों की 16 याचिकाओं पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत में इस मामले में 5 महीने 5 दिन तक सुनवाई चली। लखन भईया के भाई और वकील राम प्रसाद गुप्ता दोषियों की फांसी की सजा की मांग की अपनी याचिका को वापस ले लिया है। लखन भईया का 11 नवंबर 2006 में अंधेरी (प.) के नाना नानी पार्क के पास फर्जी एनकाउंटर हुआ था।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार तक 5 महीने 5 दिन तक सुनवाई चली। मामले की इस साल 3 जुलाई को शुरू हुई थी। 13 पुलिसकर्मियों समेत 20 दोषियों के वकीलों की ओर से सेशन कोर्ट में सुनाई गई आजीवन की कारावास को रद्द करने की मांग की। इस मामले के 22 दोषियों में पुलिसकर्मी अरविंद सरवणकर और प्राइवेट व्यक्ति बिल्डर गन्या मामा की मृत्यु हो चुकी है। 7 पुलिसकर्मियों गणेश हारपुडे, नितीन सरतापे, आनंद पाताडे, प्रकाश कदम, देविदास सकपाल, पांडुरंग कोकम और संदीप सरदार ने खंडपीठ के समक्ष कहा कि वे लखन भईया के एनकाउंटर के समय घटना स्थल पर नहीं थे। एनकाउंटर के बाद घटनास्थल पर पहुंचे थे। जबकि पुलिसकर्मी दिलीप सूर्यवंशी, तानाजी देसाई, रत्नाकर कांबले और दिलीप पालांडे ने एनकाउंटर को सही बताया और उन्होंने सेल्फ डिफेंस में लखन भईया को मारने की बात कही। पुलिसकर्मी विनायक शिंदे कहा कि एनकाउंटर फर्जी है या सही, उसे इसके विषय में कुछ भी पता नहीं है। सेशन कोर्ट ने जुलाई 2013 को 13 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों को दोषी ठहराया था।
वकील राम प्रसाद गुप्ता ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि अब वह दोषियों को फांसी की सजा नहीं, बल्कि सेशन कोर्ट के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखना चाहते हैं। उन्होंने अदालत से इस मामले में बरी पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा के खिलाफ सजा की मांग की है। 16 याचिकाओं में दोषियों की ओर से पेश हुए वकीलों ने उनका पक्ष रखा। इसमें 7 दोषी पुलिसकर्मियों ने जिरह के दौरान लखन भईया एनकाउंटर के समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं होनी की बात कही। वे एनकाउंटर के बाद घटनास्थल पर पहुंचे थे।