Mumbai News: लोकसभा में शरद पवार का साथ देने वाली बारामती की जनता अब अजित के साथ है
- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार ने रफ्तार पकड़ ली
- राकांपा (अजित) प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे से "दैनिक भास्कर' की बातचीत
Mumbai News : विजय सिंह "कौशिक' / सोमदत्त शर्मा| महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार ने रफ्तार पकड़ ली है। इस चुनाव में महिला मतदाता केंद्र बिंदु में हैं। महायुति के एक घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का पूरा प्रचार अभियान गुलाबी है। राकांपा (अजित) ने अपेन घोषणा पत्र में लाडली बहन योजना के तहत मिलने वाली धनराशि को 1500 रुपए से बढ़ा कर 2100 करने की घोषणा की, तो महा आघाडी ने सरकार आने पर महिलाओं को 3 हजार रुपए देने का वादा कर दिया। विपक्ष के इस ऐलान, महायुति में मुख्यमंत्री पद और बारामती में पवार परिवार के बीच चुनावी जंग सहित विभिन्न मुद्दों पर "दैनिक भास्कर' (मुंबई) के स्थानीय संपादक विजय सिंह "कौशिक' व प्रमुख संवाददाता सोमदत्त शर्मा ने राकांपा (अजित) के प्रदेशाध्यक्ष व सांसद सुनील तटकरे से बातचीत की।
आपने अपने घोषणा पत्र में लाडली बहन योजना के तहत 2100 रुपए देने की बात कही है। पर महाआघाड़ी 3 हजार देने का वादा कर रही है। क्या अब आप चार हजार रुपए का वादा करेंगेॽ
उन्होंने (महा विकास आघाडी) हमारी नकल की है। महायुति ने लाडली बहनों को प्रति माह 2100 रुपए देने का वादा किया है, जिसे मैं हम पूरा करेंगे। जब हमारी सरकार ने लाडली बहन योजना के तहत 1500 रुपए प्रति माह देने की शुरूआत की तो विपक्ष हम से सवाल कर रहा था कि इसके लिए पैसे कहां से आएंगे। इस योजना के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका भी दायर करवाई गई। हमारी माताओं-बहनों को पता है कि हमारी सरकार उनके खाते में धनराशि जमा कर रही है जबकि महा आघाडी का वादा कोरा वादा रहने वाला है।
लोकसभा चुनाव में महायुति को 17 सीटें मिली जबकि आघाडी ने 31 सीटें जीती। लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव में क्या बदलाव देख रहे हैंॽ
लोकसभा चुनाव के बाद काफी बदलाव हुआ है। हमने लाडली बहन योजना की शुरुआत की है। उससे महिलाओं की जिंदगी में काफी बदलाव आए हैं। इसके अलावा किसानों के मुद्दों को भी सुलझाने में हमने सफलता हासिल की है। पिछले तीन-चार महीने में महायुति की सरकार ने बहुत काम किया है। मुझे विश्वास है कि 23 नवंबर को एक बार फिर से महायुति को बहुमत मिलेगा। जिस तरह से हमने 2 करोड़ 30 लाख लाडली बहनों का सम्मान किया है, उसका असर दिखाई देगा। इस चुनाव में लाडली बहन योजना एक गेम चेंजर स्कीम साबित होने वाली है।
महायुति में क्या सीट बंटवारे से आप संतुष्ट हैंॽ
जब कई दलों का गठबंधन होता है तो सभी को आपस में समायोजित करना पड़ता है। कुछ सीटों पर हमें बलिदान देना पड़ा है लेकिन हमारी कोशिश है कि जिन सीटों पर हम चुनाव लड़ रहे हैं वहां स्ट्राइक रेट अच्छा हो, इसके लिए साथ मिल कर काम कर रहे।
शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बना कर चुनाव लड़ा और बाद में कांग्रेस के साथ मिल कर सरकार बनाई। क्या विधानसभा चुनाव के बाद दोनों राकांपा एक साथ आ सकती हैंॽ
अजीत पवार के नेतृत्व में राकांपा ने एक फैसला लिया है कि महायुति में रहकर राज्य में एक बार फिर से महायुति की सरकार लानी है। जिसके लिए तीनों दलों के नेता-कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं। साल 2014 में भी हमने भाजपा को समर्थन देने की बात कही थी लेकिन फिलहाल हम एनडीए के साथ हैं और अगर वे (शरद पवार) साथ आते हैं तो उनका स्वागत है।
क्या चुनाव बाद शरद पवार-अजित पवार के एक साथ आने की संभावनाएं हैंॽ
अभी इस बारे में मैं कुछ नहीं बोलना चाहता हूं फिलहाल अभी हम एनडीए गठबंधन के साथ महायुति में चुनाव लड़ रहे हैं।
देशभर की नजर बारामती सीट पर हैं, क्या माहौल है वहांॽ
इसमें कोई शक नहीं है कि बारामती से अजीत पवार एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत रहे हैं। लोकसभा चुनाव के समय वहां के लोगों ने तय किया था कि लोकसभा चुनाव में साहब (शरद पवार) को वोट देना है और विधानसभा चुनाव में अजित पवार को चुनना है। बारामती को लेकर हम निश्चिंत हैं।
महायुति को हिंदुत्वादी के गठबंधन के तौर पर देखा जाता है क्या अब भी राकांपा (अजित) धर्मनिपरेक्ष दल हैॽ
जी बिल्कुल, मैं अपनी पार्टी को अभी भी सेकुलर पार्टी ही मानता हूं। युति की सरकार में शामिल होने के एक साल के दौरान हमने अल्पसंख्यकों के लिए बहुत सी योजनाओं की शुरुआत की है इतनी योजनाओं की शुरुआत ठाकरे की महाआघाडी की सरकार ने भी नहीं की थी।
नवाब मलिक की उम्मीदवारों को लेकर भाजपा ने विरोध जताया है। क्या महायुति की बैठक में यह तय हुआ था कि मलिक को टिकट नहीं देना है?
कुछ बातें ऐसी हैं कि जो बैठक से बाहर नहीं आनी चाहिए। हालांकि हमारी पार्टी ने नवाब मलिक को टिकट दिया है, यह भी सच है कि हमारे सहयोगी दल ने वहां उम्मीदवार उतारा है। कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट भी हो रही है अच्छा है। हमारे लिए यह विषय समाप्त हो चुका है।
राकांपा अध्यक्ष अजित पवार 5 बार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं। इस चुनाव के बाद क्या आप उन्हें मुख्यमंत्री के रुप में देख रहे हैं?
पार्टी के कार्यकर्ता और हमारे सभी की इच्छा है कि अजित पवार राज्य के मुख्यमंत्री बनें। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर चुनाव बाद महायुति के नेता एक साथ बैठकर फैसला लेंगे। चुनाव बाद हम हम मोलभाव नहीं करेंगे।