Mumbai News: 9 से 17 साल के बच्चों की जीवनशैली हुई प्रभावित, आदतों पर ली गई थी राय

  • बच्चे हो गए ज्यादा आक्रामक और बेसब्र
  • 10 में 6 अभिभावकों ने माना, उनके बच्चे हैं सोशल मीडिया की लत के शिकार
  • प्रदेश के10 हजार लोगों से उनके बच्चों की आदतों पर ली गई थी राय

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-06 16:06 GMT

Mumbai News : सोशल मीडिया, ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग का बच्चों पर पड़नेवाले प्रभाव को लेकर एक सर्वेक्षण रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें प्रदेश के शहरी क्षेत्र के 10 में से 6 अभिभावकों ने कहा है कि उनके बच्चे सोशल मीडिया,ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग के आदी हो गए हैं। इस कार‌ण उनका स्वभाव प्रभावित हो रहा है। वे आक्रामक हो रहे हैं और उनमें बेसब्री ज्यादा देखी जा रही है। इतना ही नहीं, उनकी जीवनशैली सुस्त होने के साथ-साथ वे अवसादग्रस्त भी हो रहे हैं।यह जानकारी हाल ही में किए गए एक सर्वे में सामने आई है। इस सर्वे में महाराष्ट्र के शहरी भागों के 10,377 लोग ऑनलाइन शामिल हुए थे। सोशल मीडिया के 9 से 17 आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों पर बढ़ते प्रभाव को जानने के लिए लोकल सर्कल्स नामक गैर सरकारी संगठन ने राष्ट्रीय स्तर पर शहरी भागों में ऑनलाइन सर्वे किया था। इस सर्वे में महाराष्ट्र के 10 हजार से अधिक अभिभावक शामिल हुए थे। संस्था के संस्थापक सचिन तपाड़िया ने बताया कि इस सर्वे में प्रतिभागियों से पांच सवाल पूछे गए थे। जिसमें बच्चों की सोशल मीडिया के उपयोग कीआदतऔर उस पर बिताए जानेवाले समय की जानकारी आदि शामिल है। सर्वे में 43 फीसदी माता-पिता का कहना है कि उनके बच्चे हर दिन औसतन 3 घंटे या उससे अधिक सोशल मीडिया, वीडियो/ओटीटी और ऑनलाइन गेम्स जैसी गतिविधियों में बिताते हैं।

59 फीसदी ने कहा ओटीटी, वीडियो कीहै आदत

सर्वे में 59 फीसदी परिजनों ने बताया कि उनके बच्चों को ओटीटी, वीडियो देखने की आदत है। जबकि 47 फीसदी अभिभावकों ने कहा कि बच्चे ऑनलाइन गेमिंग और 43 फीसदी ने इंस्टाग्राम, वॉट्सएप, स्नैपचैट की आदत की बात कही है। 65 फीसदी लोग चाहते हैं कि डेटा संरक्षण कानून यह सुनिश्चित करे कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिएजब वे सोशल मीडिया, ओटीटी/वीडियो और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म से जुड़ते हैं तो माता-पिता की सहमति मांगी जाए।

अकेलेपन से बचने लग रही सोशल मीडिया की लत

केईएम अस्पताल की वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ.नीना सावंत ने बताया कि मौजूदा समयमें लोगों मिलना-जुलना कम हो गया है।ऐसे में परिवार में बच्चों के बीच संवाद कम हो गया है। नौकरी पेशा माता-पिता के कारण कई बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं, ऐसे में स्वभाविक है कि बच्चे सोशल मीडिया के आदी हो जाते हैं। यहां उन्हें लगता है कि उन्हें ज्यादा महत्त्व मिल रहा है। लेकिन सोशल मीडिया पर कई लोगों को बढ़ता हुआ देखकर यही बच्चे खुद में कमियां ढूंढने लगते हैं। जिससे वे उदासीनता औरअवसादग्रस्त हो जाते हैं।

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