Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्रिकेट मैचों के लिए पुलिस सुरक्षा शुल्क कम करने के औचित्य पर उठाए सवाल

  • राज्य सरकार के जवाब से अदालत असंतुष्ट
  • सरकार की अन्य राज्यों में कम पुलिस सुरक्षा शुल्क को लेकर क्रिकेट संघों की मांग पर शुल्क कम करने की दलील
  • अदालत ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) को हलफनामे दाखिल कर जवाब देने का दिया निर्देश

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-12 16:30 GMT

Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र में क्रिकेट मैचों के दौरान लगाए जाने वाले पुलिस सुरक्षा शुल्क को वर्ष 2011 से कम करने और माफ करने के औचित्य पर सवाल उठाया और कहा कि कुछ गड़बड़ है। राज्य सरकार से कहा गया कि ऐसा करने का फैसला राज्य में क्रिकेट मैच आयोजित करने से राज्य के खजाने को होने वाले वित्तीय लाभ को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। अन्य राज्यों में ली जाने वाली पुलिस सुरक्षा फीस इसकी तुलना में बहुत कम है। अदालत ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) को हलफनामे दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की ओर से वकील वी.टी.दुबे की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया कि मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) और अन्य संगठनों को फायदा पहुंचाने के लिए 26 जून 2023 को पुलिस सुरक्षा शुल्क कम कर दिया गया है। जबकि पहले से ही मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन पर 14 करोड़ 82 लाख रुपए से अधिक का पुलिस का सुरक्षा शुल्क बकाया है। साथ ही राज्य सरकार ने जून 2023 में एक नया जीआर जारी किया, जिसमें क्रिकेट मैचों के पुलिस सुरक्षा शुल्क में भारी कमी कर दी गई।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार मुंबई में आयोजित होने वाले मैच की तुलना कानपुर या लखनऊ जैसे शहर में आयोजित होने वाले मैच से कैसे कर सकती है। क्या मुंबई में आयोजित मैच में किया गया सुरक्षा व्यय लखनऊ में आयोजित मैच के समान है? इसका क्या औचित्य है? कुछ तो गड़बड़ है। राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे ने पीठ को सूचित किया कि अन्य राज्यों में कम दरों को लेकर क्रिकेट संघों द्वारा मांग और विरोध किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने क्रिकेट मैचों के दौरान सुरक्षा शुल्क में कमी करने का कम निर्णय लिया। इस पर पीठ ने कहा कि जिस समय मैच आयोजित किया गया था, आयोजकों को पता था कि उन्हें भुगतान करना होगा।आप (सरकार) बिना शुल्क के सुरक्षा प्रदान कर सकते थे, लेकिन आपने एक सरकारी प्रस्ताव जारी किया था, जिसमें अतीत में मैचों के लिए सुरक्षा कवर के लिए शुल्क तय किया गया था। सरकार ने उन्हें बताया था कि उनसे शुल्क लिया जाएगा। उन्होंने मैचों की मेजबानी की और अब 10 साल बाद आप शुल्क संशोधित कर रहे हैं। पीठ ने मामले की 17 दिसंबर को आगली सुनवाई रखी है और इस दौरान भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) को जनहित याचिका के जवाब में अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गलगली की याचिका में दावा किया गया है कि मुंबई पुलिस को शहर के वानखेड़े और ब्रेबोर्न स्टेडियम में 2013 से 2018 तक आयोजित आईपीएल मैचों के लिए एमसीए से 14.82 करोड़ रुपए का बकाया वसूलना बाकी है। वर्ष 2017 और 2018 में जारी दो सरकारी प्रस्तावों (जीआर) के अनुसार आयोजकों को शहर के इन दो स्टेडियमों में आयोजित प्रत्येक टी20 और एक दिवसीय मैच के लिए लगभग 66 से 75 लाख रुपए और टेस्ट मैच के लिए 55 लाख रुपए का भुगतान करना था। जून 2023 में सरकार ने एक नया जीआर जारी किया, जिसमें टी20 और एक दिवसीय मैच की कीमत घटाकर 25 लाख रुपए कर दी गई।

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