बॉम्बे हाईकोर्ट: 10 नाबालिग छात्रों से यौन उत्पीड़न के आरोपी कुश्ती शिक्षक को अंतरिम राहत
- आरोपी कुश्ती शिक्षक को अंतरिम राहत
- 10 नाबालिग छात्रों से यौन उत्पीड़न का है आरोपी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट से पुणे के कुश्ती शिक्षक समीर लवाटे को राहत मिली है। अदालत ने लवाटे को 10 नाबालिग छात्रों के यौन उत्पीड़न के मामले में अंतरिम राहत दे दी है। उन पर जून 2020 और सितंबर 2022 के बीच यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 8 (यौन उत्पीड़न) और 12 (यौन उत्पीड़न) के तहत इस साल 21 सितंबर को मामला दर्ज किया गया था। न्यायमूर्ति एम.एम.सथाये की अवकाल कालीन एकल पीठ के समक्ष पुणे में ज्ञान प्रबोधिनी विद्यालय में छात्रों के कुश्ती शिक्षक समीर लवाटे की ओर से वकील अक्षय देशमुख द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता लवाटे की ओर से पेश हुए वकील अक्षय देशमुख ने दलील दी कि कुश्ती खेल की प्रकृति में खिलाड़ियों को एक विशिष्ट प्रकार के कपड़ों (लंगोट) के साथ प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रशिक्षण में छात्रों और शिक्षक के बीच शारीरिक जुड़ाव शामिल होता है। कुश्ती शिक्षक के प्रशिक्षण में खिलाड़ी आमतौर पर लाल रंग के लंगोट में अखाड़े में कुश्ती करते हैं। लवाटे के पास अखाड़े में छात्रों को कुश्ती सिखाने की स्कूल की अनुमति थी। शिक्षक पर एफआईआर में लगाए गए आरोप कथित अपराध नहीं हैं और उन्हें अंतरिम राहत दी जानी चाहिए।
अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) वाई.वाई.दबाके ने कुश्ती शिक्षक को अग्रिम जमानत देने की याचिका का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि एफआईआर में दिए गए कथनों की प्रकृति और सत्र न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों को देखते हुए कोई अंतरिम सुरक्षा नहीं दी जानी चाहिए। सत्र न्यायालय की टिप्पणी में 10 पीड़ित लड़कों के बयानों का उल्लेख किया था। सत्र न्यायालय ने शिक्षक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस पर पीठ की राय थी कि कड़ी शर्तें लगाकर कुश्ती शिक्षक को अंतरिम राहत दी जा सकती है। यदि पुणे के विश्राम बाग पुलिस द्वारा शिक्षक को गिरफ्तार किया जाता है, तो अदालत ने उन्हें 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत देने की अनुमति दी है।