विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिन: मन की बात जानकर मानसिक स्वास्थ्य विभाग ने 14 लाख लोगों में जगाई जीने की उमंग

  • शिक्षा और करियर बने मनोरोग के बड़े कारण
  • इलाज, थेरेपी के जरिए हो रहा मनोरोगियों का उपचार
  • कोविड काल के बाद बड़ी समस्या बना मनोरोग
  • स्वास्थ्य केंद्रों में मन:शक्ति क्लिनिक कर रहा काम

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-10 00:00 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। मेंटल हेल्थ् एक बड़ी समस्याह है। इसमें बड़ी दिक्कत यह है कि लोगों को पता भी नहीं चलता कि वे इसकी गिरफ्त में हैं और हताशा में गलत कदम उठा लेते हैं। इस परिस्थिति से निपटने के लिए राज्य का मानसिक स्वास्थ्य विभाग विभिन्न उपाय योजनाओं पर काम कर रहा है। इसके सफल नतीजे भी सामने आने लगे हैं। बीते तीन वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य विभाग ने 14 लाख से अधिक लोगों में जीने की नई उमंग जगाई है।

कोविड काल के बाद मानसिक रोग एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरी है। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग विभिन्न उपाय योजना करता रहा है। इसी कड़ी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मनःशक्ति क्लिनिक शुरू की गई है, राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पतालों में भी मानसिक रोगियों के उपचार के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक (मानसिक स्वास्थ्य) डॉ. स्वप्निल लाले ने बताया कि प्रदेश में जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवा जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। इस जागरूकता सप्ताह के दौरान रंगोली, पेंटिंग से लेकर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

करियर-पढ़ाई सबसे बड़ी चिंता

डॉ. लाले ने बताया कि सभी मनोगियों को दवाई या अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती है। अस्पताल में आनेवालों की दिक्कत उनके मन से जुड़ी होती है इसलिए डॉक्टर पीड़ितों की दिक्कत की तह में जाते हैं और थेरेपी के जरिये या काउंसलिंग के जरिये उपचार करते हैं। अभी तक तीन सालों में जितने मरीजों की काउंसलिंग की गई है। उसमें सबसे ज्यादा लोग अपनी पढ़ाई और करियर को लेकर चिंतित पाए गए हैं। इसके बाद भावनात्मक समस्या और मानसिक विकार की समस्या आती है।

क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट

एनएचएसआरसीसी अस्पताल की साइकोलॉजिस्ट डॉ. साची पंड्या ने बताया कि सभी मनोरोगियों को दवाई की जरूरत नहीं होती है। कइयों की काउंसलिंग करके उनका उपचार किया जाता है। डॉ. साची ने बताया कि संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा में डॉक्टर व्यक्ति के अनहेल्दी या अप्रभावी विचार और व्यवहार पैटर्न की पहचान करते हैं, ऐसे लोगों के व्यवहार को सकारात्मक बनाने के लिए थेरेपी की मदद ली जाती है।

मरीजों की संख्या वर्षवार

थेरेपी                 2020-21  2021-22   2022- 23

सामाजिक शिक्षा- 33579-    90509-     308276

साइको-              25814-    85585-     258155

व्यवहार-              4671 -    17085-     40494

भावनात्मक-           803-     3034-      14093

सहयोगात्मक-       9212-     32729-     76229

सामूहिक-             11138-    25424-    53825

फैमिली-                7084-    28475-    74568

मुंबई में 2471 मरीजों का इलाज

मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने बताया कि अप्रैल 2023 से अभी तक मुंबई के मनपा दवाखाना और एचबीटी क्लिनिक के जरिए 2,471 संदिग्ध मनोरोगियों की जांच की गई। इसमें से 347 मरीजों में हल्के और 41 मरीजों में मानसिक स्वास्थ्य के गंभीर लक्षण पाए गए। इन सभी मरीजों को उनके लक्षण के आधार पर मनपा के प्रमुख अस्पतालों में रेफर किया गया है।

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