बॉम्बे हाईकोर्ट: आईएसआईएस आतंकी मॉड्यूल के कथित मास्टरमाइंड जुल्फिकार अली समेत 4 की जमानत याचिका खारिज
- आरोपियों ने एनआईए द्वारा आरोप पत्र 90 दिन के बाद दाखिल करने का हवाला देकर डिफॉल्ट जमानत का किया था अनुरोध
- विशेष एनआईए अदालत ने आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 90 दिन बाद 21 दिन का दिया था एक्सटेंशन
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे आईएसआईएस आतंकी मॉड्यूल के कथित मास्टरमाइंड जुल्फिकार अली बड़ौदावाला समेत 4 आरोपियों की जमानत याचिका की खारिज दी। अदालत ने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है। इस मामले में डिफॉल्ट जमानत नहीं दी जा सकती है। आरोपियों ने अपनी याचिका में विशेष अदालत के पिछले साल 30 अक्टूबर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को 90 दिन के बाद आरोप पत्र दाखिल को चुनौती देते हुए डिफॉल्ट जमानत का अनुरोध किया गया था। न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजुशा अजय देशपांडे की खंडपीठ के समक्ष जुल्फिकार अली, कादिर दस्तगीर पठान, आकिफ अतीक नचान और अदनान अली सरकार की दायर डिफॉल्ट जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि एनआईए ने पिछले साल 6 जून में पुणे आईएसआईएस आतंकी मॉड्यूल का कथित पर्दाफाश करते हुए पुणे और पडघा समेत आस-पास के राज्य जिलों से याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। एनआईए उनके खिलाफ 90 दिनों में जांच कर विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी। एजेंसी ने अदालत से आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 21 दिनों का और समय मांगा। अदालत ने एजेंसी को यह अनुमति दे दी। एजेंसी से विशेष अदालत में पेश जांच रिपोर्ट मांगी गयी, तो वह देने से इनकार कर दिया। एनआईए के निश्चित समय में आरोप पत्र दाखिल नहीं करने के कारण आरोपियों को डिफॉल्ट जमानत दी जानी चाहिए।
एनआईए की ओर से पेश संदेश पाटिल ने आरोपियों के डिफॉल्ट जमानत का विरोध करते हुए कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एनआईए आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 180 दिन ले सकती है। इस मामले में एजेंसी ने 21 दिनों में ही आरोप पत्र दाखिल किया। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत देने से इनकार करते हुए चारो याचिकाएं खारिज कर दी।
क्या है पूरा मामला
एनआईए के मुताबिक जुल्फिकार बड़ौदावाला और आकिफ नाचन समेत अन्य आरोपियों ने पडघा के बोरीवली स्थित छोटी मस्जिद में कई बैठकें की थीं। उन्होंने इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के लिए भोले-भाले मुस्लिम युवकों की भर्ती करने, आईएसआईएस की विचारधारा का प्रचार करके इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों को आगे बढ़ाने और अल-शाम की धरती पर हिंसक जिहाद को अंजाम देने की योजना बनाई थी। आरोपियों ने पुणे, कोल्हापुर और सतारा के जंगलों में बम विस्फोट और टेंट में रहकर ड्रोन के जरिए हवाई विस्फोट की तकनीक सीखी थी।