बॉम्बे हाईकोर्ट: पुणे - सतारा महामार्ग के पूरा नहीं होने को लेकर एनएचएआई से मांगा जवाब

  • अदालत ने एनएचएआई को हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश
  • 7 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई
  • जनहित याचिका पर सुनवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-21 16:07 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे-सतारा महामार्ग के पूरा नहीं होने को लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(एनएचएआई)से जवाब मांगा है। अदालत ने इसको लेकर एनएचएआई को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। 7 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष किशोर मनसुखानी की ओर से वकील यतिन मालवणकर की दायर जनहित याचिका सुनवाई हुई। पीठ ने एनएचएआई से पूछा कि महामार्ग की वर्तमान स्थिति क्या है? कब तक महामार्ग के निर्माण का कार्य पूरा हो जाएगा? पीठ ने एनएचएआई को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के वकील यतिन मालवणकर ने दलील दी कि पुणे से सतारा होते हुए कोल्हापुर तक जाने वाले यातायात के लिए पुणे-सतारा महामार्ग महत्वपूर्ण है। इस महामार्ग की लंबाई 140.35 किलोमीटर है, जिसके निर्माण का कार्य 137 किलोमीटर पूरा हो गया है। जबकि महामार्ग के 3.35 किलोमीटर के निर्माण का कार्य नहीं हुआ है।

महामार्ग पर एक फ्लाईओवर का काम भी अधूरा पड़ा हुआ। एनएचएआई और महामार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी के बीच विवाद लंबित है। इसको लेकर 9 जुलाई 2024 को दिल्ली हाई कोर्ट में मध्यस्थता अपील दाखिल की गयी है। इस पर पीठ ने कहा कि यह मामला एनएचएआई और कंपनी के बीच आपसी विवाद से संबंधित नहीं है। महामार्ग का निर्माण साल 2010 में शुरू हुआ था, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ है। एनएचएआई और कंपनी बीच किसी विवाद के कारण आम जनता महामार्ग से वंचित हैं। इसका निर्माण उचित समय के भीतर पूरा किया जाना चाहिए था।

पीठ ने कहा कि हमारी राय में एनएचएआई का कर्तव्य है कि वह महामार्ग को जल्द से जल्द पूरा करे। हम संबंधित परियोजना के प्रभारी अधिकारी को साइट पर जा कर महामार्ग की सही स्थिति बताते हुए अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं। प्रभारी अधिकारी फ्लाईओवर समेत महामार्ग के अधूरे हिस्से को कम से कम कितने समय में पूरा किया जाएगा। इस बारे में हलफनामा दो सप्ताह के भीतर दायर की जाए।

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