भास्कर खास: राज्य में बिना पैथोलॉजिस्ट चल रहीं 8 हजार लैब, अकेले मुंबई में हजार से ऊपर संख्या

  • प्रदेश में कुल 13 हजार पैथलॉजी लैब
  • मुंबई में 1 हजार लैब पैथालॉजिस्ट बिना
  • अवैध पैथोलॉजी लैब पर नकेल कसने क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अधीन लाने का इंतजार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-14 11:23 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में 13 हजार पैथोलॉजी लैब हैं, जिनमें से 8 हजार लैब बिना पैथोलॉजिस्ट के अवैध रूप से चल रही हैं। मुंबई शहर में अवैध पैथोलॉजी की संख्या 1 हजार से ज्यादा है। अवैध लैब से कराए गए रक्त आदि की परीक्षण रिपोर्ट मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ है। आरोप है कि इन अवैध पैथोलॉजी लैब की जानकारी प्रशासन को भी है लेकिन प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। इस बीच अवैध पैथोलॉजी लैब पर नियंत्रण के लिए

लैब को क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अधीन इसे लाने का प्रयास अधर में लटका हुआ है।

महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ प्रैक्टिसिंग पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट के मुताबिक प्रदेश की 13 हजार पैथोलॉजी लैब में से 8 हजार लैब बिना पैथोलॉजिस्ट के हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संदीप यादव के मुताबिक मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक हर पैथोलॉजी लैब में मेडिकल काउंसिल से पंजीकृत एमडी पैथोलॉजिस्ट होना चाहिए। डॉ. यादव के मुताबिक बिना पैथोलॉजिस्ट के चलनेवाले लैब को अवैध करार दिया गया है और इन पर फर्जी डॉक्टर पर किए जानेवाले नियमों के तहत आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।

15 साल से जारी है संघर्ष

डॉ. यादव ने बताया कि बीते 15 वर्षों से अवैध पैथोलॉजिस्ट के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा अवैध पैथोलॉजी लैब शहरी भागों में है। यह पैथोलॉजी लैब डिप्लोमाधारी टेक्नीशियन संचालित करते हैं। उन्होंने बताया कि टेक्नीशियन का काम पैथोलोजिस्ट के मार्गदर्शन में काम करना होता है लेकिन यह टेक्नीशियन स्वयं ही रक्त के स्लाइड बनाकर खुद ही इसकी जांच रिपोर्ट बना देते हैं और रिपोर्ट पर किसी पैथोलॉजिस्ट की स्कैन हस्ताक्षर लगा देते हैं जो सरासर गलत है।

रिपोर्ट आई, प्रक्रिया का इंतजार

वर्ष 2022 में विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर इन अवैध लैबों पर अंकुश लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई थी। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने वादा किया था कि उनकी रिपोर्ट के तीन महीने के भीतर बॉम्बे नर्सिंग होम एक्ट में संशोधन किया जाएगा और प्रयोगशालाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस कमेटी की रिपोर्ट के बावजूद प्रयोगशाला की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।

क्या कहते है डॉक्टर

वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. प्रशांत मिश्रा ने बताया कि डॉक्टर मरीजों का इलाज उसके रोग और रोग की पुष्टि के लिए की गई जांच के आधार पर करते हैं। अगर रिपोर्ट ही सही न हो तो शुरू किया गया इलाज मरीज के लिए जोखिम साबित हो सकता है। इसलिए मरीजों को अपना रक्त आदि का परीक्षण हमेशा विश्वसनीय पैथोलॉजी लैब से ही कराना चाहिए।

क्या कहते हैं अधिकारी

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पैथोलॉजी लैब के पंजीकरण के लिए कोई नियम नहीं है। पहले यह शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत गुमास्ता लाइसेंस प्राप्त करते थे लेकिन यह भी अब बंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इसे क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत लाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन यह एक्ट महाराष्ट्र में अभी तक लागू नहीं किया गया है।

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