सूखाग्रस्त तहसीलों का मामला: परीक्षा शुल्क लौटाने के लिए चाहिए 22 करोड़, सरकार ने किया सिर्फ 12 लाख का आवंटन
- परीक्षा शुल्क वापसी का सरकार का ऐलान सिर्फ कागजों पर
- सूखाग्रस्त तहसीलों के 10वीं, 12वीं के विद्यार्थियों का मामला
डिजिटल डेस्क, मुंबई. चुनावी साल में लाडली बहन, लाडला भाऊ जैसी योजनाओं में राज्य सरकार ने पूरी ताकत और पैसा झोंक दिया है। ऐसे में पुरानी घोषणाएं ठंडे बस्ते में चली गईं हैं। सूखा प्रभावित इलाकों के विद्यार्थियों के लिए राज्य सरकार ने परीक्षा शुल्क वापस करने का फैसला किया था। इसके लिए पूरक मांगों के जरिए 22 करोड़ 57 लाख 97 हजार रुपए की अतिरिक्त निधि का प्रावधान किया गया था लेकिन हाल ही में स्कूली शिक्षा विभाग को मिली निधि का वितरण किया गया तो सूखा प्रभावित इलाकों के विद्यार्थियों का परीक्षा शुल्क वापस करने के लिए सिर्फ 12 लाख रुपए उपलब्ध कराए गए हैं।
एजुकेशन एक्टिविस्ट अमर एकाड ने कहा कि असल में विद्यार्थी अब राज्य सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं। चुनावी साल है इसलिए विद्यार्थियों का पैसा लाडली बहन, लाडला भाऊ जैसी योजनाओं के लिए खर्च किए जा रहे हैं। मामले में एकाड ने महाराष्ट्र बोर्ड की सचिव अनुराधा ओक से ईमेल के जरिए जानकारी मांगी तो उन्होंने जवाब में कहा कि जब पूरक निधि महाराष्ट्र बोर्ड को प्राप्त होगी उसके बाद ही परीक्षा शुल्क प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। एकाड ने कहा कि स्कूली शिक्षा विभाग ने जिस तरह सिर्फ 12 लाख रुपए उपलब्ध कराएं हैं इससे साफ है कि विद्यार्थियों को पैसे वापस मिलना मुश्किल है।
क्या है योजना
2023 की खरीफ फसल के दौरान राज्य की 40 तहसीलों और राजस्व विभागों के 1021 इलाकों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। इसके बाद इन इलाकों के 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को उनसे लिया गया परीक्षा शुल्क वापस करने का फैसला किया गया। विद्यार्थियों से इसके लिए आवेदन भी कराए गए। योजना के तहत दसवीं के 3 लाख 28 हजार 914 जबकि बारहवीं के 2 लाख 84 हजार 208 विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क से पैसे वापस दिए जाने हैं। विद्यार्थियों ने अप्रैल महीने में ही आवेदन कर दिया था लेकिन करीब चार महीने होने को हैं और पैसों का इंतजार जारी है।