दिल्ली से आई टीम खंगाल ले गई माननीयों की कुंडली, अब फूली हैं सांसें
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को भी आंतरिक मैनेजमेंट संभालने वाली टीम की दो टूक - एक तरफा फैसले से सहयोग की उम्मीद खत्म हो जाएगी
डिजिटल डेस्क,कटनी।
सत्ता में वापसी के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही भाजपा को जिले में कदम-कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के बड़े नेताओं को भरोसा था कि लाड़ली बहना योजना लागू होने के बाद सत्ता विरोधी लहर पर काबू पाया जा सकेगा लेकिन हालिया खुफिया रिपोर्टों से मिले फीडबैक ने प्रदेश संगठन की चिंता बढ़ाते हुए उसे अलर्ट मोड पर ला दिया है। भोपाल में संगठन तक पहुंची इन्हीं रिपोर्टों के बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा बीते दिनों बिना सूचना दिए यहां आए। जिला संगठन ने बाद में इसे व्यक्तिगत दौरा बताया, लेकिन इस व्यक्तिगत दौरे में उनकी चुनाव का आंतरिक मैनेजमेंट संभालने वाली टीम के सदस्यों के साथ हुई बैठक ने न सिर्फ वीडी बल्कि समूचे संगठन की चिंता बढ़ा दी है। सूत्रों के अनुसार टीम के सदस्यों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से दो कहा कि मौजूदा विधायक को फिर से टिकट दी गई तो हम लोगों से सहयोग की उम्मीद नहीं करें।
रिपोर्ट जानने हो रहे जतन
कुछ दिनों पहले जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों की स्थिति और जमीनी कार्यकर्ताओं की मन: स्थिति टटोलने भाजपा की एक सर्वे टीम दिल्ली से कटनी आई। सूत्रों के अनुसार, सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए अलग-अलग टीम थी। टीम के सदस्यों ने मंडल स्तर तक पहुंचकर पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। बताया जाता है कि संगठन ने दिल्ली से गई सर्वे टीम की भनक माननीयों को भी नहीं लगने दी। टीम ने दिन भर में मिले फीडबैक की जानकारी उसी दिन शाम को दिल्ली भेज दी। पहला दौर पूरा होने के बाद सर्वे टीम के आने की भनक जैसे ही जिला भाजपा के नेताओं को लगी, उनमें खलबली मच गई। माननीयों की तो यॅं सासें फूल गईं कि, जब तक वे अपने समर्थकों को उस तक भेजते टीम अपना काम करके वापस दिल्ली लौट चुकी थी।
नहीं मिल रही कोई राह
एक के बाद एक नेता के पलायन ने भाजपा के प्रदेश ही नहीं बल्कि केन्द्रीय नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के संसदीय क्षेत्र में शामिल जिले की मुड़वारा, बहोरीबंद और विजयराघवगढ़ सीट पर मौजूदा प्रत्याशी का आंतरिक व बाह्य विरोध ने इस चिंता को बढ़ाया ही है। विगढ़ विधायक संजय पाठक ने अपने चुनाव लडऩे या न लडऩे का फैसला क्षेत्र की जनता पर छोड़ संगठन को वहां काफी हद तक राहत पहुंचाई है। बहोरीबंद में प्रणय पांडे को संजीवनी देने खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी जनदर्शन यात्रा लेकर बडग़ांव पहुंचे। यही नहीं बहोरीबंद-रीठी को 313 करोड़ रुपये की सौगात देकर डैमेज कंठ्रोल का काफी हद तक प्रयास किया। मुड़वारा जरूर संगठन के गले की फांस बन चुका है। क्योंकि मौजूदा विधायक का चुनाव के आंंतरिक प्रबंधन का काम देखने वाली टीम ने ही विरोध कर दिया है। रहा भाजपा की आकांक्षी सीटों की सूची में शामिल बड़वारा तो पूर्व मंत्री मोतीकश्प ने 80 की उम्र में भी चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर कर संगठन को सांसत में डाल दिया है। कांग्रेस ने 2018 में भाजपा से बड़वारा सीट मोतीकश्यप को हरा कर ही छीनी थी। उस समय भी कश्यप ने पार्टी टिकट आखिर चुनाव लडऩे का निवेदन कर हासिल की थी। कश्यप के मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में बडग़ांव पहुंचने को उनकी चुनाव लडऩे की हसरतों से जोड़ कर देखा जा रहा है।
कांग्रेस में करीबियों को बांट दिए गये पद
जिला कांग्रेस ग्रामीण ने बीते दिनों अपनी जम्बो कार्यकारिणी घोषित की। कार्यकारिणी घोषित होते ही विरोध के स्वर भी फूट पड़े और सोशल मीडिया में कांग्रेसियों द्वारा अध्यक्ष के प्रति गुस्से का जमकर इजहार किया जा रहा है। एक ही परिवार से दो-दो लोगों को पदाधिकारी बनाने, भाजपा विधायक के करीबी को उपाध्यक्ष पद से नवाजने की चर्चाएं भी सरगर्म हैं। कांग्रेसियों के अनुसार अध्यक्ष ने अपने चहेतों का पार्टी में रेवड़ी की तरह पद बांट दिए। कहने को तो यह ग्रामीण कार्यकारिणी है पर इसमें शहर में रहने वाले नेताओं को भी पदाधिकारी बना दिया गया। अपनों के साथ दूसरों के भी निशाने पर आए जिला कांग्रेस ग्रामीण के अध्यक्ष के मामले को लेकर मचे बवाल पर खाक डालने कांग्रेस के अंदरखाने से एक नई खबर बाहर लाई गई है। खबर कांग्रेस के पूर्व शहर अध्यक्ष से जुड़ी है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि उनके द्वारा नगर निगम में अपने प्रभाव व दबाव का इस्तेमाल करते हुए आधे से भी कम कीमत पर सुधार न्यास कॉलोनी में नई जमीन हासिल कर ली गई। टिकट की दौड़ और दावेदारी की होड़ के बीच समाने आये जमीन के इस नये मामले का सच छिपाने समूचा नगरनिगम प्रशासन जुट गया है। नगरनिगम प्रशासन को भी सच यूँ छिपाना पड़ रहा है क्योंकि वह इन पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष के खासे दबाव में है। और इसी दबाव के चलते ही नगर निगम प्रशासन अब तक न तो ट्रांसपोर्ट नगर में पुराने कागजी आवंटनों को निरसत करते हुए नये आवेदकों को प्लॉट आवंटित कर सका, न ही लल्लू भैया की तलैया वाले मामले में ही वह कोई सकारात्मक पहल कर सका।