बड़ों के सियासी समींकरण बिगाड़ने छोटे दल भी हुए सक्रिय
डिजिटल डेस्क, कटनी। अपनों से जूझती सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस का संकट मैदान में सक्रिय हो चुके छोटे दलों ने बढ़ा रखा है। हालाकि फिलहाल दानों ही दल, खासतौर पर भाजपा इनकी गतिविधियों को तवज्जो न के बराबर दे रही है। बावजूद इसके ये मैदान में इसलिये बराबर सक्रिय बने हुए हैं क्योंकि इनके द्वारा उठाये जा रहे तात्कालिक तथा स्थानीय मुद्दों पर जनता ज्यादा गौर कर रही है। शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना और कांग्रेस की नारी सम्मान योजना के बीच गोंगपा, आप, सपा और बसपा के कार्यकर्ता महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, बढ़ते अपराध, मणिपुर की हिंसा और स्थानीय स्तर पर पनपे खनिज विशेष रूप से रेत माफिया के खिलाफ आवाज बुलंद किये हुए हैं।
गोंगपा महिला अत्याचार को लेकर मैदान में मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र करने एवं हो रही हत्याओं को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) द्वारा हर ब्लाक में प्रदर्शन किया जा रहा है। इस दौरान उसके पदाधिकारी प्रदेश मेें बढ़ते अपराधों व महिला अत्याचार व उत्पीडऩ को लेकर भी जमकर बोल रहे हैं। पिछले सप्ताह इसने विजयराघवगढ़ में रैली निकालकर सत्ताधारी दल को खुली चुनौती दी। रैली के बाद तहसीलदार को राष्ट्रपति के नाम पर ज्ञापन सौंपा। गोंगपा जिलाध्यक्ष अर्जुन सिंह तेकाम कहते हैं कि यूसीसी के आने से अधिवासियों के अधिकारों का हनन होगा। गोंगपा की यूथ विंग ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पर रैली निकाल कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया।
आप दिल्ली व पंजाब की दे रही मिसाल
आम आदमी पार्टी पिछले विधानसभा एवं साल भर पहले हुए नगर निगम चुनाव में कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन इन चुनावों में उसे जो थोड़ा-बहुत हासिल हुआ, उससे इसके कार्यकर्ता जरूर उत्साहित हैं। पार्टी के राष्ट्रीय, प्रदेश स्तरीय नेताओं के लगातार दौरे के बीच जिला पदाधिकारी व कार्यकर्ता जनता के बीच दिल्ली व पंजाब में पार्टी द्वारा किये गये कामों को गिना रहे हैं। नेता अब दिल्ली और पंजाब सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों के नाम पर वोट मांगेंगे। पार्टी के प्रदेश सह सचिव अनिल सिंह तथा लोकसभा क्षेत्र अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह जिले का दौरा कर मैपिंग कर चुके हैंं। जिलाध्यक्ष एडवोकेट सुनील मिश्रा कहते हैं कि फिलहाल पार्टी से लोगों को जोडऩेे और स्थानीय समस्याओं को लेकर प्रशासन व सरकार के साथ जनता को भी जगाने पर हमारा फोकस है। सपा में बिखराव तो बसपा भी अभी प्रभाव नहीं छोड़ पा समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी स्थानीय मुद्दों को लेकर जब-तब जनता के बीच तो पहुंच रही है लेकिन अब तक अपनी प्रभावी उपििसति दर्ज नहीं करा पाई है।
नगर निगम महापौर चुनाव में सपा प्रत्याशी तीन हजार वोट भी नहीं हासिल कर पाई थीं। फिर ऐन चुनाव के पहले जिलाध्यक्ष बदलने का भी प्रतिकूल असर पड़ा है। कई लोगों ने पार्टी से किनारा कर लिया। नवनियुक्त जिलाध्यक्ष रैली, ज्ञापन के माध्यमों से वापस सक्रियता बढ़ाने में जुटे हैं लेकिन अब तक कोई बड़ा परिणाम सामने नहीं आया। बसपा ने अपनी एंट्री माफियाओं के खिलाफ रैली व प्रदर्शन जरूर किया लेकिन उसके बाद वह ठंडी पड़ गई।