दांव पर बांधवगढ़ नेशनल पार्क के बफर एरिया की सुरक्षा
कटनी तथा उमरिया जिले के सीमावर्ती क्षेत्र जाजागढ़ में पिपही नदी के रास्ते रेत खनन माफियाओं ने किया प्रवेश
डिजिटल डेस्क कटनी/उमरिया। बांधवगढ़ नेशनल पार्क की सुरक्षा दांव पर लगी हुई है। वजह, कटनी व उमरिया जिले में सक्रिय रेत खनन माफियाओं ने पिपही नदी के रास्ते नेश्रनल पार्क के बफर एरिया में प्रवेश कर लिया है। प्रतिबंधित अवधि और प्रतिबंधित क्षेत्र में करीब पखवाड़े भर से कटनी जिले के जाजागढ़ में चल रही खनन गतिविधियों की जानकारी दोनों जिलों के खनिज महकमे को है। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के मैदानी अमले को भी इसकी बखूबी जानकारी है, लेकिन ग्रामीणों द्वारा रेंजर को फान पर इसकी तात्कालिक सूचना दिए जाने की कोशिश भी इसलिए बेकार चली जाती है क्योंकि बफर जोन के पनपथा रेंज केें रेंजर कृष्णा मरावी कभी उनके फोन ही नहीं उठाते हैं। हमारे संवाददाता ने भी पार्क के बफर जोन में पिपही नदी में हो रहे अवैध उत्खनन को लेकर जब रेंजर मरावी से उनके मोबाइल नं. 9340158186 पर बात करने सम्पर्क किया लेकिन उन्होने कॉल रिसीव नहीं किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि बफर जोन के अधिकारयों की मिलीभगत से ही कटनी व उमरिया जिले की सीमा पर पिपही नदी में जाजागढ़ क्षेत्र में रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। बीटीआर (बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व) के प्रभारी डायरेक्टर एवं शहडोल वृत्त के सीसीएफ एल.एल.उईके ने तद्संदर्भित सूचना और जानकारी मिलना स्वीकारते हुए कहा कि ‘जाजागढ़ क्षेत्र में पिपही नदी में रेत उत्खनन का वीडियो सामने आने के बाद टीम को भेजा गया था लेकिन वहां लोकेशन ट्रेस नहीं हुई।
वन्य प्राणियों को बढ़ा खतरा
जसनकारों कके अनुसार बांधवगढ़ नेशनल पार्क से सटे जाजागढ़ में पिपही नदी में पोकलेन मशीनें लगाकर जिस तरह से रेत निकाली जा रही है, उससे जलीय जीव-जंतुओं ही नहीं बल्कि वन्य प्राणियों के जीवन को भी खतरा पैदा हो गया है। दरअसल, जाजागढ़ से सटा इलाका बांधवगढ़ नेशनल पार्कका बफर क्षेत्र है और यहां वन्य प्राणियों का मूवमेंंट होता रहा है। इस प्रतिबंधित क्षेत्र में खनन गतिविधियों चलने और भारी मशीनों तथा वाहनों की आवाजाही से वन्य प्राणियों के स्वच्छंद विचरण पर तो बुरा असर पड़ ही रहा है, इनका जीवन भी खतरे में है।
दो जिलों की सीमा और वन क्षेत्र माफियाओं के लिए वरदान
सूत्रों के अनुसार रेत के अवैध उत्खननकर्ताओं ने कटनी व उमरिया जिले की सीमा से लगे नदी क्षेत्रों को अपना सुरक्षित ठिकाना बना रखा है। दरअसल, रेत के अवैध खनन को लेकर दोनों जिलों के खनिज महकमे या तो एक-दूसरे पर बात डाल देते हैं या फिर वन क्षेत्र या पार्क एरिया होने की बात कह, पल्ला झाड़ लेते हैं। कमोबेश वन महकमे के अफसर भी अपने क्षेत्र में रेत खनन होना स्वीकार नहीं करते, यदि मजबूरी में स्वीकारते भी हैं तो मौके पर किसी के नहीं मिलने या लोकेशन ट्रेस नहीं होने की बात कह, पल्ला झाड़ लेते हैं। महकमों की इस आपसी लड़ाई व मजबूरी का फायदा खनन माफिया उठा रहा है और रेत का बेधडक़ खनन कर रहा है।