खुले में फेंक रहे मृत मवेशी, पैनाल्टी के निर्णय तक सीमित एमएसडब्ल्यू पर कार्रवाई, जिम्मेदारों की चुप्पी
डिजिटल डेस्क, कटनी। शहर की बदहाल यातायात व्यवस्था को सुधारने चार दशक पहले जिस ट्रांसपोर्टनगर की परिकल्पना की गई थी, उसे बसाने में नगर निगम के जिम्मेदारों ने अड़ंगे ही नहीं अटकाए बल्कि उसे नर्क बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यह बात हम नहीं कर रहे वरन ट्रांसपोर्ट नगर के हालात खुद ब खुद नगर निगम की कारगुजारी बयां कर रहे हैं। बिजली, पानी, स्ट्रीट लाईट के तमाम दावे धरातल में कितने खरे उतर रहे हैं, यह निगमायुक्त और महापौर ने पिछले दिनों अपने निरीक्षण में स्वयं देख लिया होगा। ट्रांसपोर्ट नगर को नर्क बनाने की साजिश ही कहा जाएगा कि मृत पशुओं का विधिवत निस्तारण नहीं करने पर 6 माह पहले जिस एमएसडब्ल्यू से पैनाल्टी वसूल करने का नगर निगम के जिम्मेदारों ने निर्णय लिया था वे पैनाल्टी वसूलना तो दूर उस एमएसडब्ल्यू को ट्रांसपोर्टरनगर को मृत मवेशियों का कब्रिस्तान बनाने से भी रोक पाना मुश्किल होगा।
शिकायतें बेअसर, जिम्मेदार बेपरवाह
ट्रांसपोर्टनगर में जिन कारोबारियों ने गोदाम बनाकर व्यवसाय शुरू कर दिया है, नर्क जैसी यातना भुगत रहे हैं। बिजली, पानी के संकट का तो सामना अब उनके लिए आम बात है। ट्रांसपोर्टनगर को मवेशियों का अघोषित कब्रिस्तान बनाने से कारोबारियों का सांस लेना मुश्किल है। इसकी शिकायत वे नगर निगम के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से कई बार कर चुके हैं, पर इस मामले में भी समस्या का समाधान ढाक के तीन पात जैसा ही है।
हवा के झोंके से बदबू का गुबार
तमाम समस्याओं के बीच ट्रांसपोर्टनगर में कारोबार शुरू कर अपनी जीवटता का परिचय देने वाले परचून ट्रांसपोर्टर राजेश सेतपाल के अनुसार नगर निगम के अमले द्वारा ट्रांसपोर्टनगर के समीप मृत मवेशी खुले में फेंके जाते हैं। दिन या शाम को जब हवा के झोंके चलते हंै तो बदबू का ऐसा गुबार उठता है कि सांस लेना भी मुश्किल होता है। ऐसा नहीं कि नगर निगम के जिम्मदारों से शिकायत न की गई हो। बीते दिवस नगर निगम कार्यालय में आयोजित बैठक में भी यह समस्या बताई गई थी, पर अब तक उसका निदान नहीं हो पाया है।
नवम्बर में पैनाल्टी का दिया नोटिस
ज्ञात हो कि 29 नवम्बर 2022 को हुई एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना की मानीटरिंग कमेटी की बैठक में मृत मवेशियों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण नहीं करने पर सदस्यों ने नाराजगी जताई थी। इस लापरवाही पर एमएसडब्ल्यू प्रा.लि. से 480000 रुपये पैनाल्टी वसूलने का निर्णय भी हुआ था।