Jalgaon News: जलगांव में दो गुलाब के बीच कांटे की टक्कर, इस विधानसभा क्षेत्र में सिंचन की प्रमुख समस्या

  • गिरणा और तापी नदियों के किनारे बसे इस विधानसभा क्षेत्र में सिंचन की प्रमुख समस्या
  • क्षेत्र से कुल 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं
  • जलापूर्ति मंत्री का गांव प्यासा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-15 13:50 GMT

Jalgaon News : गिरणा और तापी नदियों के किनारे होने के बावजूद 50 वर्षों से सींचन की समस्या का सामना कर रहे जलगांव ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में दो गुलाबराव के बीच कांटे की टक्कर हो रही है। इस क्षेत्र में कुल 11 उम्मीदवार हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला महायुति के मंत्री गुलाबराव पाटील और महाविकास आघाड़ी के पूर्व मंत्री गुलाबराव देवकर के बीच है। पालधी और धरणगांव में चल रहे चुनाव प्रचार में युवा शामिल हो रहे हैं। दूसरी तरफ गांव-कस्बों में चुनाव को लेकर कोई उत्सुकता नजर नहीं आ रही है। स्थानीय मतदाता गुलाबराव देवकर को ठेकेदारों का मसीहा मानते हैं तो वहीं गुलाबराव पाटील को मौसमी नेता करार दे रहे हैं। शिवसेना उद्धव गुट के कार्यकर्ता पार्टी के निर्णय पर नाराज हैं। उनके अनुसार यह चुनाव क्षेत्र शिवसेना गढ़ हैं। अगर यहां पर मशाल का उम्मीदवार होता तो मुकाबला रोमांचकारी होता। ठाकरे गुट के जिला प्रमुख गुलाबराव वाघ यहां से इच्छुक थे, लेकिन, वर्ष 2019 के चुनाव में तीसरे पायदान पर रहने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस को यहां से मौका दिया गया है। इस चुनाव में देवकर के लिए शरद पवार और उद्धव ठाकरे मैदान में पहुंच गए हैं। शिवसेना के सांसद संजय राऊत यहां पर अपनी नजरें बनाए हुए हैं। वे यहां की हर गतिविधि से वाकिफ हो रहे हैं। पाटील के चुनाव प्रचार की कमान उनके बेटे प्रताप पाटील संभाल रहे हैं। उद्धव गुट के कार्यकर्ता गुलाबराव पाटील को गद्दार बताते हुए सबक सीखाना चाहते हैं। इस चुनाव क्षेत्र में मराठा, गुजर, माली और अल्पसंख्यक मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है। गुलाबराव देवकर मराठा और गुलाबराव पाटील गुजर समाज से हैं। 

मतदाताओं का कहना है, मंत्रिमंडल में यहां के प्रतिनिधि को तीन बार स्थान मिलने के बावजूद यह चुनाव क्षेत्र विकास से बहुत दूर है। किसानों की मानें तो यह परिसर केला और कपास उत्पादक क्षेत्र है। इसके बावजूद यहां पर अब तक एक भी केले पर आधारित प्रक्रिया उदयोग शुरू नहीं किया जा सका है। जलगांव तहसील और धरणगांव परिसर में करीब 35 जिनिंग कारखाने हैं, लेकिन कपास को 7 हजार से अधिक दाम नहीं मिल रहा है। विगत दस वर्षों से कपास उत्पादक किसान उचित दामों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कोई बड़ा उदयोग नहीं होने से चुनाव क्षेत्र का शिक्षित युवाओं में नाराजगी है। रोजगार के अवसर नहीं होने से यहां के 20 प्रतिशत युवा मुंबई, पुणे और नाशिक पहुंच गए हैं, जबकि ऐसे ही अन्य युवा रोजाना 30 किलोमीटर का सफर कर जलगांव पहुंचते हैं। 

जलगांव ग्रामीण विधानसभा पहले एरंडोल निर्वाचन क्षेत्र था, लेकिन 2009 के विधानसभा चुनाव में एरंडोल विधानसभा क्षेत्र का बंटवारा हुआ। धरणगांव और जलगांव तहसील मिलाकर जलगांव ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र निर्माण हुआ। धरणगांव और नशिराबाद की दो नगर पालिका और 187 ग्राम पंचायतों को मिलाकर निर्माण हुए इस चुनाव क्षेत्र में 3 लाख 22 हजार 584 मतदाता हैं। इसमें 1 लाख 55 हजार 584 पुरुष और 1 लाख 66 हजार 748 महिला मतदाता हैं। यहां ज्यादातर मतदाता किसान हैं।

जलआपूर्ति मंत्री का गृहक्षेत्र होने के बावजूद धरणगांव में 10 से 15 दिनों के बाद ग्रामीणों को पानी मिल रहा है। यहां पर पानी की समस्या बरसों से बनी हुई है। जलजीवन मिशन के तहत इस क्षेत्र के लिए 1200 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे, लेकिन इसमें से केवल 300 करोड़ रुपए ही खर्च किए जा सके हैं। बाकी 900 करोड़ की निधि धूल फांक रही है। गुलाबराव पाटील की राजनीतिक दौड़ की शुरुआत एक शाखा प्रमुख के रूप से हुई है। चौथी बार इस चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधीत्व कर रहे हैं। दो बार मंत्री बने हैं। वर्ष 2009 में गुलाबराव देवकर नगरसेवक का चुनाव हारे थे, लेकिन छह महीने के बाद वह विधानसभा में पहुंचे। मंत्री और पालक मंत्री बनने का मौका मिला, तब कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस की लहर थी। मराठा और माली समाज के मतदाताओं का समर्थन मिला था और देवकर के लिए शरद पवार व छगन भुजबल ने मैदान संभाला था। मंत्री बनने के बाद देवकर का मतदाताओं से संपर्क कम हुआ। जबकि, गुलाबराव पाटील ने चुनाव हारने के बाद भी कार्यकर्ताओं हौसला बढ़ाया। संपर्क अभियान जारी रखा। इसका परिणाम वर्ष 2014 के चुनाव में देखने को मिला। जलगांव घरकुल घोटाला सामने आया। देवकर को इस चुनाव में करारी शिकस्त मिली। गुलाबराव पाटील ने चुनाव जिता। इसके बाद देवकर राजनीति से ओझल हो गए थे।

 दिलचस्प बात यह है, बालकवि त्र्यंबक बापूजी ठोंबरे का जन्मस्थान जलगांव ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र के धरणगांव में आता है। इसके अलावा बहिणाबाई चौधरी का जन्म गांव आसौदा भी इसी निर्वाचन क्षेत्र में है। बहिणाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय इसी निर्वाचन क्षेत्र में आता है, इसलिए इस विधानसभा क्षेत्र को ऐतिहासिक विरासत मिली हुई है, लेकिन दोनों महापुरुषों के स्मारकों का काम दस वर्षों से लंबित है।

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