जबलपुर: ग्राम पंचायतों को खेती की जमीन पर लगे वृक्षों को काटने की क्यों दी गई अनुमति
- हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में चुनौती, राज्य शासन से जवाब तलब
- कोर्ट ने अंतरिम राहत पर सरकार के जवाब के बाद विचार करने कहा है।
- दलील दी गई कि यह संशोधन संविधान के प्रावधानों के विपरीत है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर खेती की जमीन पर लगे वृक्षों को काटने की अनुमति के अधिकार ग्राम पंचायतों को देने को चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि इससे हजारों वृक्षों का कत्लेआम हो रहा है। मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने राज्य शासन व राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। कोर्ट ने पूछा है कि ग्राम पंचायतों को ऐसा अधिकार क्यों दिया गया।
जबलपुर की नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने याचिका दायर कर बताया कि मप्र भू-राजस्व संहिता में ग्राम पंचायत को वृक्ष काटने की अनुमति देने का अधिकार दिया गया है। इससे प्रदेश भर में हजारों की संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि मप्र भू-राजस्व संहिता विविध अधिनियम 2020 के नियम 75 में संशोधन कर तहसीलदार के स्थान पर ग्राम पंचायत (पटवारी रिपोर्ट) शब्द डाला गया है।
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बीरनेर में 419, ग्राम पंचायत बम्हनी में 1440, नानाखेड़ा में 168, घुंसौर में 22 वृक्ष काटने की अनुमति दी गई है। कुल मिलाकर सागौन के 2049 वृक्ष काटने की अनुमति दी गई।
दलील दी गई कि यह संशोधन संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। माँग की गई कि उक्त संशोधन पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने अंतरिम राहत पर सरकार के जवाब के बाद विचार करने कहा है।