जबलपुर: स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के कैंसर मरीजों के वार्ड में क्यों बना रहे सेंट्रल लैब
जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य शासन व अन्य से माँगा जवाब
डिजटल डेस्क,जबलपुर।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य शासन से पूछा है कि स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट जबलपुर के कैंसर वार्ड में आउटसोर्स सेंट्रल लैब क्यों बनाई जा रही है। इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन व स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के अधीक्षक को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।
जबलपुर निवासी अधिवक्ता विकास महावर ने याचिका दायर कर बताया कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज स्थित प्रदेश का इकलौता स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट है। यहाँ सेंट्रल लैब बनाने के लिए एक वार्ड चिन्हित किया गया है। इंस्टीट्यूट में 2 पुरुष और 2 महिला वार्ड हैं, जिनमें हमेशा ही मरीज भर्ती रहते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हितेंद्र सिंह ने दलील दी कि वार्ड में भर्ती मरीजों को शिफ्ट किया जा रहा है। हालांकि शासन की ओर से कहा गया कि मरीजों को शिफ्ट नहीं किया जा रहा है।
याचिका में बताया गया कि करीब आठ साल पहले कैंसर इंस्टीट्यूट की सौगात मिली थी। इसके लिए केन्द्र सरकार ने 135 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया था। इसमें से करीब 50 करोड़ रुपए में इंस्टीट्यूट का भवन तैयार किया गया है। याचिका में बताया गया कि मशीनों के अभाव में संस्थान का उचित रूप से संचालन नहीं हो पा रहा है। मरीजों को रेडिएशन थैरेपी का लाभ नहीं मिल रहा है। ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं। याचिका में बताया गया कि मशीनों के लिए राज्य सरकार के पास करीब 84 करोड़ पड़े हैं, लेकिन उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। इस कारण कैंसर के गंभीर मरीजों को बड़े शहरों में जाकर महंगा इलाज कराना पड़ रहा है। यह भी बताया गया कि इंस्टीट्यूट के लिए स्वीकृत पदों को भी नहीं भरा जा रहा है। इसके उलट कई पदों को अन्य विभागों में स्थानांतरित किया जा रहा है।