जबलपुर: चूल्हा गोलाई की ढलान पर हाईवे पर सड़क ने दम तोड़ा

  • सीमेण्ट के ऊपर लगाया डामर का लेप भी उधड़ गया
  • अब यहाँ से वाहन निकालना खतरों से भरा
  • लोग बोले- टोल वाली सड़क का मेंटेनेंस भूला विभाग

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-29 14:04 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जबलपुर से नागपुर सड़क पर तिलवारा से आगे चूल्हा गोलाई के नजदीक दोनों हिस्सों से वाहन निकलना आसान नहीं है। नागपुर की ओर जाने में सड़क के किनारे हाइवा और डपरों से गिरी हार्ड मुरुम वाहनों में फिसलन पैदा करती है तो जबलपुर की ओर आने में सड़क ढाल पर दम तोड़ चुकी है।

हालात ऐसे हैं कि शहर की ओर पहाड़ी पर मंदिर के नजदीक से अंधे मोड़ से जैसे ही वाहन नीचे की ओर आता है तो सड़क टेड़ी-मेढ़ी, छिली, उधड़ी हुई है, इन हालात में वाहन पर नियंत्रण मुश्किल हो जाता है। जरा सी गफलत यदि वाहन चालक ने की तो हादसे का शिकार हो सकता है।

छोटे वाहन के पीछे बड़ा वाहन आ रहा होता है तो उन हालात में इस खराब सड़क पर खतरा ज्यादा होता है। लोगों का कहना है कि इस टोल वाली सड़क के मेंटेनेंस को लेकर अनदेखी की वजह से ऐसी स्थिति है।

बारिश के बाद अब विंटर सीजन रवाना होने वाला है और अब तक इन हिस्सों की मापदण्डों के अनुसार मरम्मत नहीं हो सकी है। हमेशा बारिश के बाद मरम्मत होती है, लेकिन इस बार इसमें सुधार को दरकिनार कर दिया गया है।

ऐसा बनाया गया है यह हिस्सा

सड़क का यह हिस्सा तिलवारा से लखनादौन की सीमा के पहले तक 82 किलोमीटर के दायरे में 640 करोड़ की लागत से 4 साल पहले बना है। इसमें बरगी के नजदीक नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इण्डिया के द्वारा टोल लिया जा रहा है। सड़क के एक से डेढ़ किलोमीटर के हिस्से में मरम्मत और समय पर सुधार को लेकर लगातार समस्या बनी हुई है। इसको लेकर लोग शिकायत भी करते हैं।

इस हिस्से में मानकों का ख्याल नहीं| एक्सपर्ट का मानना है कि चूल्हा गोलाई के नजदीक सड़क पर जबलपुर से नागपुर की ओर जाने में नारायणगंज गाँव के करीब तो ब्रिज बना दिया, लेकिन उस ओर से यानी चूल्हा गोलाई से जब तिलवारा की ओर आते हैं

तो पहाड़ी की रोड में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया। पुरानी टू-लेन सड़क के हिस्से को सीमेण्टेड कर दिया गया, जबकि इसमें दुर्घटना न हो, पहाड़ी को काटते हुये ऐसी सड़क विकसित की जानी थी।

जानकारों का कहना है कि हाईवे के मापदण्डों के अनुसार इस ओर का हिस्सा अभी हाईवे के नाॅर्म्स के विपरीत कामचलाऊ ही है। इस हिस्से में वाहनों की गति तो प्रभावित होती ही है, साथ ही खतरे भी ज्यादा हैं।

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