जबलपुर: पहला शहर जहाँ होंगे जूलॉजिकल और जियोलॉजिकल पार्क

अच्छी खबर: लम्हेटा में आकार ले रहा पार्क, मदन महल की सुरम्य वादियों में बनेगा जूलॉजिकल पार्क

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-29 08:08 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

हमारा शहर देश का पहला ऐसा शहर होगा जहाँ एक साथ जूलॉजिकल पार्क यानी प्राणी उद्यान और जियोलॉजिकल यानी भू-वैज्ञानिक उद्यान दोनों एक साथ होंगे। लम्हेटाघाट में बनने वाला जियोलॉजिकल पार्क देश का पहला पार्क होगा, जिसके लिए भूमि का आवंटन हो चुका है और राशि की घोषणा भी हो चुकी है। वहीं जूलॉजिकल पार्क का निर्माण मदन महल की सुरम्य पहाड़ी पर होगा जो अब एक बार फिर घने जंगल में तब्दील हो रही है।

गतदिवस ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मदन महल की पहाड़ी पर जूलॉजिकल पार्क बनाने की घोषणा की है। यह पार्क जानवरों के लिए पूरी तरह सुरक्षित होता है और यहाँ तरह-तरह के जानवर रखे जाते हैं। उनके लिए वनस्पतियाँ भी उगाई जाती हैं। इसके लिए मदन महल की पहाड़ी एकदम सही जगह है। प्रशासन अब इसकी डीपीआर की तैयारी कर रहा है। वहीं जिला प्रशासन ने भेड़ाघाट में जियोलॉजिकल पार्क बनाने के लिए 12 हैक्टेयर चयनित भूमि का आवंटन किया है। इस भूमि पर पर्यटन विभाग जियोलॉजिकल पार्क के साथ ही पर्यटन सम्बंधित गतिविधियों का संचालन कर सकेगा जिस पर लगभग 35 करोड़ रुपयों की लागत से पार्क का निर्माण होगा। चूँकि भेड़ाघाट और उससे लगे लम्हेटाघाट जियोलॉजिकल गतिविधियों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं, यही कारण है कि पार्क को जल्द ही प्रसिद्धि भी मिल जाएगी।

मिल चुके हैं डायनासोर के फॉसिल्स

बताया जाता है कि वर्ष 1928 में सबसे पहले विलियम हेनरी स्लीमेन ने लम्हेटा और भेड़ाघाट के इस क्षेत्र में डायनासोर के जीवाश्म की खोज की थी। इसके बाद से ही यह क्षेत्र दुनिया के लिए कौतूहल का विषय रहा है। बाद में दुनिया भर के सर्वेक्षण दलों ने यहाँ कार्य किए। पुणे यूनिवर्सिटी ने भी यहाँ काफी कार्य किया था, उन्हें पाषण काल के हथियार भी मिले थे।

पूरी तरह प्रकृति के साथ तालमेल

कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन का कहना है कि मदन महल पहाड़ी पर वीरांगना की 52 फीट की प्रतिमा 52 ताल-तलैयों की सौगात के आधार पर बनाई जाएगी। यहाँ के जो भी निर्माण होंगे वे पूरी तरह प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर ही किए जाएँगे। हजारों पेड़ों के बीच में स्ट्रक्चर बनाए जाएँगे जिससे लोगों को एक नया अनुभव मिलेगा और वे प्रकृति के साथ जुड़ाव महसूस करेंगे।

रानी दुर्गावती का स्मारक

मदन महल की पहाड़ी पर ही 100 करोड़ रुपयों की लागत से रानी दुर्गावती का स्मारक होगा जिसमें वीरांगना की 52 फीट की प्रतिमा होगी। यहाँ बड़ी संख्या में पौधाराेपण किया जाएगा और उन्हीं के बीच गोंडवाना की धरोहरों को सुरक्षित किया जाएगा। गाँव जैसे माहौल में हट बनाए जाएँगे, लेजर शो और अन्य कार्यक्रम होंगे। ईको टूरिज्म के साथ ही यहाँ एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा।

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