जबलपुर: मरीजों के दबाव से फूल रहीं सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल की साँसें
- 2019 में शुरू हुआ अस्पताल, जितने पदों का सृजन उनमें से कई अभी खाली
- डॉक्टराें समेत नर्सिंग स्टाफ और टेक्नीशियन्स की भी कमी
- सृजित पदों के मुकाबले दोगुने मानव संसाधन की जरूरत
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज स्थित सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में मरीजों का दबाव इतना अधिक है कि कई विभागों में फ्लोर बेड लगाकर उपचार दिया जा रहा है।
अस्पताल के विस्तार की योजना के साथ-साथ यहाँ अब चिकित्सकों समेत नर्सिंग स्टाफ और टेक्नीशियन्स की संख्या बढ़ाए जाने की सख्त जरूरत महसूस की जाने लगी है, लेकिन स्थिति यह है कि वर्ष 2019 में अस्पताल की शुरुआत के वक्त सृजित किए गए विभिन्न पदों में से कई पद अभी भी खाली हैं।
यहाँ तक कि सुपर स्पेशिएलिटी चिकित्सा के लिए जरूरी कुछ पदों का तो सृजन भी नहीं किया गया। वर्तमान में आ रहे मरीजों के लिए मौजूदा मानव संसाधन पर्याप्त नहीं है। जानकारी के अनुसार अस्पताल में क्षमता के मुकाबले अभी आधे चिकित्सक ही हैं, यही स्थिति अन्य स्टाफ की भी है।
जानकारों का कहना है कि अस्पताल के विस्तार और मरीजों की संख्या को देखते हुए सृजित पदों के मुकाबले दोगुने मानव संसाधन की आवश्यकता है।
बता दें कि वर्तमान में सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल और स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन न्यूरोसर्जरी को मिलाकर 300 के करीब बेड हैं। अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 350 से 550 मरीज आते हैं।
टेक्नीशियन के कुछ पद हैं ही नहीं
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कार्डियक सर्जरी, न्यूरोलॉजी और न्यूरो सर्जरी से जुड़े कुछ टेक्नीशियन्स के पद अस्पताल मंे सृजित नहीं किए गए। उदाहरण के लिए कार्डियक सर्जरी में आवश्यक परस्यूजन टेक्नीशियन का पद ही नहीं है।
इसी तरह न्यूरो सर्जरी और न्यूरोलॉजी ईईजी टेक्नीशियन और नर्व कंडेक्शन स्टडी टेक्नीशियन की जरूरत होती है, जिसका पद सृजित ही नहीं किया गया। ईईजी करने के लिए अभी नर्सिंग स्टाफ को ट्रेनिंग देकर काम चलाया जा रहा है।
डॉक्टरों के 110 पद स्वीकृत हैं, इसके मुकाबले करीब 45 डॉक्टर ही हैं।
क्लास-4 में ठेका कंपनी के 100 कर्मचारी हैं, जो कि सफाई और सिक्योरिटी संभालते हैं। इनकी संख्या भी कम है।
नर्सिंग के 190 पद सेंक्शन हैं, जिसके मुकाबले 165 पद भरे हैं। लगभग 160 नर्सिंग स्टाफ और चाहिए।
नर्सिंग से जुड़े विभिन्न पदों के लिए मेडिकल कॉलेज से सपोर्ट दिया गया है, इसके बाद भी स्टाफ की आवश्यकता है।
स्कूल ऑफ एक्सीलेंसी इन न्यूरो सर्जरी भी सुपर स्पेशिएलिटी के अंतर्गत है, ऐसे में यहाँ भी स्टाफ साझा करना पड़ता है।
प्रयास किए जा रहे हैं
अस्पताल में मरीजों का दबाव हमेशा ही बना रहता है। चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया कुछ समय अंतराल में होती रहती है। मरीजों को बेहतर से बेहतर उपचार मिले, इसलिए अस्पताल के विस्तार के साथ-साथ चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ एवं अन्य स्टाफ की आवश्यकता है जिसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
-डॉ. अवधेश प्रताप सिंह कुशवाहा,
डायरेक्टर, सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल