जबलपुर: सबसे तेज चला स्टेलियन, टारगेट के काफी करीब गोला-बारूद, बस..धीमी पड़ी धनुष

  • सुरक्षा संस्थानों में चलता रहा डिस्पैच का लेखा-जोखा, इस बार वीएफजे ने बाजी मारी
  • 800 स्टेलियन का टारगेट पर निर्माणी 775 व्हीकल तैयार करने में कामयाब रही।
  • एलपीटीए वाटर ब्राउजर में निर्माणी ने 400 में से पूरा लक्ष्य हासिल कर लिया।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-01 14:09 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। सुरक्षा संस्थानों ने अपने प्राेडक्शन टारगेट को पूरा करने के लिए आखिरी समय तक एड़ी चोटी का जोर लगाया। इस पूरे फाइनेंशियल ईयर में वाहन निर्माणी ने अपने आप को काफी बेहतर साबित किया।

800 स्टेलियन का टारगेट पर निर्माणी 775 व्हीकल तैयार करने में कामयाब रही। ओएफके गोला-बारूद का लक्ष्य हासिल करने में जरूर चूक गई लेकिन बीते वर्षों की अपेक्षा रफ्तार काफी तेज रही। जीसीएफ में धनुष का प्राेडक्शन बेहद धीमा रहा।

वाहन निर्माणी अपने टारगेट को तकरीबन पूरा करने में इसलिए भी कामयाब रही क्योंकि आँकड़ा काफी सीमित था। जानकारी के अनुसार वीएफजे को 490 करोड़ का टारगेट दिया गया जिसके एवज में निर्माणी 481 करोड़ तक पहुँचने में कामयाब रही। स्टेलियन के 800 यूनिट की जगह 775 वाहन तैयार किए गए।

वहीं एलपीटीए वाटर ब्राउजर में निर्माणी ने 400 में से पूरा लक्ष्य हासिल कर लिया। सीआरपीएफ को 13 माइंस प्रोटेक्टिव व्हीकल सौंपे गए। कुल मिलाकर वाहन निर्माणी का परफाॅर्मेंस ठीक रहा है।

जीसीएफ- साल भर में महज 8 गन बन पाईं, आधे में आकर अटके

गन कैरिज फैक्ट्री का परफॉर्मेंस सबसे ढीला रहा। जानकारों का कहना है कि शुरुआती दौर में निर्माणी को 1294 करोड़ का टारगेट दे दिया गया लेकिन बाद में इसे रिड्यूज कर 1048 करोड़ कर दिया गया। हैरानी वाली बात यह है कि जीसीएफ 469 करोड़ तक पहुँचकर ही अटक गई।

पता चला है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में महज 8 धनुष गनें ही तैयार हो पाई हैं। हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि गन के लिए कॉस्टिंग मटेरियल मुरादनगर से आता है। इसके बाद इसमें कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं जिससे टाइमिंग पूरी तरह से गड़बड़ा जाती है। बहरहाल, निर्माणी के अधिकारियों ने स्टाफ के बीच पहुँचकर उत्पादन को लेकर हौसला अफजाई की।

ओएफके- इस साल कुछ पिछड़े लेकिन पिछले साल से दोगुना

आयुध निर्माणी खमरिया तकरीबन 600 करोड़ पीछे रह गई। हालांकि ओएफके 2200 करोड़ के जिस आँकड़े तक पहुँची है वह अपने आप में बड़ा माइल स्टोन है। जानकारों का कहना है कि शुरुआती दौर में ओएफके को 3200 करोड़ का टारगेट दिया गया था लेकिन बाद में इसे घटाकर 28 सौ करोड़ कर दिया गया।

जानकारों का कहना है कि पिछले वित्तीय वर्ष में निर्माणी पूरी कोशिश के बावजूद तकरीबन 12-13 सौ करोड़ का टारगेट ही हासिल कर पाई थी। इस नजरिए से देखा जाए तो ओएफके के लिए यह बड़ा अचीवमेंट है।

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