जबलपुर: लॉजिस्टिक पार्क के लिए 100 एकड़ भूमि की तलाश शहपुरा -खैरी को तवज्जो
- रिंग रोड के समीप भटौली और परतला की भूमि पर भी विचार
- कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को दिए निर्देश
- भोपाल भेजा जाएगा प्रस्ताव
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। 3 हजार करोड़ रुपयों की लागत से बन रही शहर की रिंग रोड के समीप बनने वाले मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क के लिए भूमि चयन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
उल्लेखनीय है कि गत दिवस ही केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण जल्द करने की बात कही थी और बुधवार को इस मामले में कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए।
इस मामले में यह पता चला है कि शहपुरा के समीप खैरी गाँव में करीब 100 एकड़ भूमि है, जो कि शासन के पास ही है, इसलिए खैरी को तवज्जो दी जा रही है। वहीं भटौली और परतला में भी जमीन देखी गई है।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बुधवार को निर्माणाधीन रिंग रोड पर मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क के लिये भूमि चयन के संबंध में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण, एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और स्मार्ट सिटी के अधिकारी निर्देश दिए हैं।
कलेक्टर ने अधिकारियों से कहा है कि शहर की बाहरी सीमा पर निर्माणाधीन रिंग रोड में एमएमएलपी के लिये ग्राम भटौली, परतला एवं खैरी की भूमि पर विचार किया गया है।
बताया जाता है कि खैरी की भूमि औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के पक्ष में हस्तांतरित होकर एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर के अधिपत्य में होने के कारण प्रस्तावित प्रोजेक्ट के त्वरित क्रियान्वयन के लिये उपयुक्त प्रतीत होने पर एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर द्वारा तत्संबंधी प्रस्ताव एमपीआईडीसी भोपाल प्रेषित किये जाने की सहमति व्यक्त की गई।
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमृत लाल साहू ने बताया कि मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क के लिये न्यूनतम 40 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता बताई गई है और यह भी शर्त है कि भूमि रिंग रोड के पास होनी चाहिए।
इस प्रोजेक्ट की लागत के सम्बंध में फिलहाल किसी को जानकारी नहीं है, लेकिन इतना तय है कि इससे शहर के साथ ही पूरे महाकोशल को लाभ मिलेगा।
एनएचएलएमएल करेगा विकसित-
बताया जाता है कि मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण भारत सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के उपक्रम नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड द्वारा राज्य सरकार से अनुबंध निष्पादित कर किया जा सकता है।
इससे दोनों सरकारों के बीच समन्वय भी रहेगा और किसी प्रकार की बाधा भी नहीं आएगी। निर्माण कार्य एक तय समय सीमा में किया जाएगा, जिससे बहुत अधिक इंतजार नहीं करना होगा।