जबलपुर: रिवीजन लंबित रहते रेंट कंट्रोल अथॉरिटी नहीं ले कोई अंतिम निर्णय
- हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, दुकान खाली कराने से जुड़ा मामला
- अंतरिम आदेश देकर अथॉरिटी को अंतिम निर्णय देने पर रोक लगा दी
- शासकीय सेवक के रूप में कार्यरत रहते हुए इस तरह का आवेदन पेश नहीं किया जा सकता
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दुकान खाली कराने के एक मामले में निर्देश दिए कि रिवीजन के निराकरण तक रेंट कंट्रोल अथॉरिटी कोई अंतिम आदेश पारित नहीं करेंगे। जस्टिस अनुराधा शुक्ला की एकलपीठ ने इस मामले में अनावेदक डॉ. राम मोहन दुबे को जवाब पेश करने के निर्देश दिए।
टीकमगढ़ निवासी देविका साहू व उनके पुत्र गोलू साहू की ओर से अधिवक्ता सुशील मिश्रा व सुश्री कंचन मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि देविका ने अनावेदक डॉ. दुबे के दादा को 3 हजार रुपए दिए थे, जिसके बदले उन्होंने एक रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के जरिए दुकान दी थी।
दादा की मृत्यु के बाद डॉ. दुबे ने वर्ष 2023 में रेंट कंट्रोल अथॉरिटी (एसडीएम) के समक्ष दुकान खाली कराकर उन्हें वापस कराने के लिए आवेदन पेश किया। इस बीच देविका की ओर से आपत्ति आवेदन प्रस्तुत कर दलील दी गई कि नियमानुसार शासकीय सेवक के रूप में कार्यरत रहते हुए इस तरह का आवेदन पेश नहीं किया जा सकता।
नियम के तहत शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद ही दुकान खाली कराने आवेदन दे सकते हैं। इस आपत्ति को निरस्त करते हुए अथॉरिटी ने अंतिम फैसले के लिए मामला सूचीबद्ध कर दिया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उक्त अंतरिम आदेश देकर अथॉरिटी को अंतिम निर्णय देने पर रोक लगा दी।