जबलपुर: पुलवामा बलिदानी मामले की सुनवाई छह मार्च के लिए बढ़ी

  • जारी रहेगी होमगार्ड्स की सेवा, कॉल ऑफ पर रोक
  • बलिदानी के पिता को आवश्यक पक्षकार बनाने की भी व्यवस्था दी है।
  • मामला समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के आधार पर संज्ञान लेकर जनहित याचिका बतौर सुना जा रहा है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-24 13:16 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने पुलवामा हमले के बलिदानी सीआरपीएफ जवान अश्विनी काछी के मामले में सुनवाई छह मार्च तक के लिए बढ़ा दी है।

साथ ही राज्य शासन, मुख्य सचिव को जवाब पेश करने कहा है। बलिदानी के पिता को आवश्यक पक्षकार बनाने की भी व्यवस्था दी है। यह मामला समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के आधार पर संज्ञान लेकर जनहित याचिका बतौर सुना जा रहा है।

बलिदानी के पिता, भाई व बहन आदि का आरोप है कि सरकार ने जो वादे किए थे, वे पाँच साल बाद भी पूरे नहीं हुए हैं। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन की ओर से कुछ दस्तावेज पेश किए गए, जिन्हें अभिलेख में ले लिया गया।

जारी रहेगी होमगार्ड्स की सेवा, कॉल ऑफ पर रोक

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने होमगार्ड सैनिक को दो माह का कॉल ऑफ देने पर अंतरिम रोक लगाते हुए उन्हें सेवा में बने रहने की अनुमति दी। जस्टिस शील नागू व जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने मामले को सुनवाई हेतु स्वीकार कर पूर्व में लंबित प्रकरणों के साथ संलग्न करने के निर्देश दिए।

अगली सुनवाई 26 फरवरी को हाेगी। छिंदवाड़ा के अनिल कोली, रमेश परतेती, कालूराम कवरेती की ओर से अधिवक्ता विहाग दुबे ने बताया कि याचिकाकर्ताओं को एक फरवरी 2024 से 31 मार्च 2024 तक का कॉल ऑफ दिया गया है।

उन्होंने बताया कि शासन ने संशोधन के जरिए एक साल में दो माह के कॉल ऑफ को बदलकर 3 साल में 2 माह का कॉल ऑफ कर दिया। वर्ष 2010 में होमगार्ड्स कर्मचारियों द्वारा हाई कोर्ट जबलपुर में याचिका दायर कर नियमितीकरण, आरक्षकों के समान वेतन, पूरे वर्ष कार्य प्रदान करने एवं अन्य लाभ देने की प्रार्थना की गई थी।

वर्ष 2011 में हाई कोर्ट द्वारा आंशिक रूप से स्वीकार कर मध्य प्रदेश शासन को आदेशित किया गया था कि वे होमगार्ड्स के सेवा नियम बनाएँ एवं उन्हें पूरे वर्ष कार्य पर रखा जाए। सरकार ने वर्ष 2016 में नियम बनाए और आदेश के विपरीत पुनः एक वर्ष में 2 माह का बाध्य काॅल ऑफ का प्रावधान रख दिया।

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