जबलपुर: हसरतें अब जाकर पूरी हुईं, 81 साल तक न तो स्लेट मिली और न पेंसिल
सुक्को बाई की तरह हजारों बुजुर्गों ने दिया साक्षरता का इम्तिहान, 1635 सेंटरों में बैठे 42 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
नाम सुक्को बाई उम्र 81 साल..। नाती-पोते का हाथ पकड़कर स्कूल तक पहुँचीं… परीक्षा देने के लिए। बचपन से ख्वाहिशें थीं, पढ़ने की…बढ़ने की लेकिन न स्लेट मिली और न पेंसिल। साक्षर होने के इस सम्मान के लिए उनकी तकरीबन पूरी जिंदगी गुजर गई।
यह कहानी सिर्फ सुक्को बाई की नहीं है, बल्कि ऐसे हजारों उम्रदराज परीक्षार्थी रविवार को जिले के 1,635 अलग-अलग परीक्षा केंद्रों में पहुँचे। दरअसल, भारत शासन शिक्षा एवं साक्षरता मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे साक्षरता कार्यक्रम के तहत राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देश पर मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता परीक्षा का आयोजन किया गया।
गौर करने वाली बात यह है कि परीक्षा केंद्रों में जिले के तकरीबन 42,000 से अधिक 15 वर्ष से लेकर 85 वर्ष तक के परीक्षार्थी इम्तिहान में शामिल हुए। इस दौरान परीक्षा की मॉनीटरिंग और संचालन में जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी अंजनी सैलेट, जिला परियोजना समन्वयक योगेश शर्मा, जिला सह समन्वयक प्रकाश चंदेल सहित जिले के सभी एपीसी, बीआरसी, संकुल प्राचार्य, जन शिक्षा केंद्र प्रभारियों का अहम किरदार रहा।
बुजुर्ग बोले, अब नाती-पोते पढ़ाते हैं| जिले के केंद्रों में परीक्षा अलग-अलग शिफ्ट में प्रातः 10 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित की गई। केंद्रों पर बुजुर्गों का तिलक लगाकर स्वागत किया गया, उन्हें फूलों की माला पहनाई गई। बुजुर्गों ने बताया कि बचपन में पढ़ने की ललक को नाती-पोतों ने दोबारा जगा दिया। जब-जब उन्हें पढ़ते देखा तो खुद का बचपना याद आता रहा। बच्चों ने भी इसे भांप लिया और हमें पढ़ाने का जिम्मा उठाया। बुजुर्ग बोले, जो खुशी मिली है उसे बयाँ नहीं किया जा सकता है।