जबलपुर: इंदौर में नो कार, और यहाँ उलझा रहा पूरा शहर
विडंबना : न कहीं जागरूकता दिखी और न ही हुई कोई पहल, सड़कों पर दिखी अराजकता
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
इंदौर में दिन भर नो कार डे मनाया गया...वहाँ के कई अफसर और जनप्रतिनिधि लग्जरी कारें छोड़कर दोपहिया वाहनों पर निकले। कुछ ने तो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का इस्तेमाल करके पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का इजहार भी किया। इंदौर में हुई यह पहल लोगों की जुबान पर रही, लेकिन नो कार डे का नजारा हमेशा की तरह दिल दु:खाने वाला रहा। कई सड़कों पर कारों के काफिलों केे बीच यातायात उलझा हुआ नजर आया। लोग परेशान रहे। जबलपुर में नो कार डे को लेकर न कोई जागरूक दिखा और न ही इस दिशा में कोई पहल ही की गई। हर जुबान पर यही बात रही कि काश जबलपुर में भी यह पहल होती तो कम से कम नई पीढ़ी के बीच एक अच्छा संदेश जाता और एक नई सोच के साथ लोग शहर को व्यवस्थित करने के लिए नेक कदम बढ़ाते।
शहर में फ्लाईओवर समेत अन्य विकास कार्य चल रहे हैं। इसको लेकर यातायात में थोड़ा बहुत अवरोध समझ में आता है, लेकिन अराजक यातायात व्यवस्था से जूझने वाले शहर को शुक्रवार को भी सुकून नसीब नहीं हो सका। शहर के अधिकांश क्षेत्रों में यातायात रोज से ज्यादा बेपटरी पर नजर आया। उखरी तिराहा, रानीताल और मदन महल क्षेत्र के साथ अन्य कई सड़कों पर घंटों तक जाम लगा रहा। बीच में फँसे तीनपहिया वाहनों और कारों के बीच मदन महल में वाहनों को आगे बढ़ने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी। लोगों को बेहद परेशान होना पड़ा।
हर दिन रहता है यही आलम
जाम में फँसे गढ़ा निवासी आरके शर्मा, वैभव गुप्ता व प्रियांशु तिवारी आदि का कहना था कि निर्माण कार्य अकेले जबलपुर में नहीं हो रहे हैं। हर शहर में काम चलते रहते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित यही शहर नजर आता है। भोपाल व इंदौर में कई बड़े निर्माण हुए और यातायात भी व्यवस्थित चलता रहा। यहाँ निगम के दूसरे विभागों के साथ कोई तालमेल न होने की खामी वाहन चालकों के लिए रोज की मुसीबत खड़ी करती है। शहर के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को मिलकर इसके समाधान के लिए कोई विकल्प खोजना चाहिए, ताकि लोगों को राहत मिल सके।