जबलपुर: पौधे बन गए पेड़, लेकिन जहाँ के तहाँ फँसे हैं लाखों के ट्री गार्ड
विडंबना : पौधारोपण के बाद मुड़कर भी नहीं देखते जिम्मेदार, इन्हें निकालकर फिर से किया जा सकता है इस्तेमाल
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
ग्रीनरी के प्रति समाज के हर वर्ग में जागरूकता बढ़ी है। लोग बढ़-चढ़कर पौधारोपण भी कर रहे हैं, लेकिन ट्री गार्ड की कमी हरियाली की इस राह में सबसे बड़ी बाधा बन रही है। जानकारों के अनुसार नगर निगम के पास ट्री गार्ड्स हैं ही नहीं..। आम आदमी तो दूर, पार्षदों तक को ट्री गार्ड नसीब नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में लोगों का ध्यान उन ट्री गार्ड्स की ओर जा रहा है, जो पेड़ों में फँसे हुए हैं। पेड़ तो बड़े हो गए, लेकिन इन ट्री गार्ड्स को निकाला नहीं गया। कहीं-कहीं तो ये एक तरह से पेड़ों के लिए मौत का फंदा तक साबित हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि बड़े वृक्षों में फँसे ट्री-गार्ड्स को समय रहते नहीं निकाला गया, तो ये वृक्षों में बुरी तरह जकड़ जाएँगे। उनका तना पतला व कमजोर पड़ जाएगा, जो तेज हवा के झौंके में इन पेड़ों के धराशायी होने का कारण भी बन सकता है।
निकालकर दूसरे पौधों में हो उपयोग
पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर साल पौधारोपण करने वाली ऐश्वर्यनंदनी तिवारी व रूपल चौबे ने बताया कि बनवाने पर एक ट्री गार्ड 1000 से 1400 रुपए तक का पड़ता है। देखा जाए तो बड़े हो चुके पेड़ों में इस तरह हजारों की तादाद में ट्री गार्ड फँसे हुए हैं। अगर इतने नए ट्री गार्ड बनवाए जाएँ, तो लाखों रुपए खर्च होंगे। इन ट्री गार्ड्स को निकालकर दूसरे पौधों में उपयोग किया जाएग तो निगम के पैसे बचेंगे।
पूरी तरह जकड़ गए हैं पेड़ों के तने
कृषि उपज मंडी, विजय नगर और त्रिमूर्ति नगर मुख्य मार्ग पर लोगों की आँखें कुछ पेड़ों पर टिक जाती हैं। यहाँ कई पेड़ ऐसे हैं, जिनके तने बिल्कुल ट्री गार्ड से जकड़ गए हैं। क्षेत्रीय नागरिक प्रियांशु दत्त व शीला पांडेय ने बताया कि पौधारोपण के समय इन ट्री गार्ड्स को लगाया गया था, लेकिन अब वे पौधे इतने विशाल और मोटे हो गए हैं कि उनके तने ही ट्री गार्ड्स से कस गए हैं।
डिजाइन पर भी सवाल
वर्षों से पौधारोपण का नेक कार्य कर रहे एड. अरविंद दुबे व गढ़ा निवासी मनीष शर्मा का कहना है कि पहले पौधों में लगाए गए ट्री गार्ड्स का डिजाइन सही नहीं है। जो पौधे अब पेड़ बन चुके हैं, उनके ट्री गार्ड्स को निकालने के लिए कटर का इस्तेमाल करना पड़ेगा। बिना काटे ये ट्री गार्ड्स नहीं निकल पाएँगे।।
बड़े हो चुके पेड़ों में फँसे ट्री गार्ड्स को अभियान चलाकर निकाला जाएगा। इनका इस्तेमाल अन्यत्र पौधारोपण में किया जाएगा। अब निगम द्वारा ऐसे ट्री गार्ड बनाने पर भी फोकस किया जाएगा, जिन्हें पौधों के बड़े होने पर निकाला जा सके, ताकि उनका बार-बार उपयोग हो सके।
आदित्य शुक्ला
कार्यपालन यंत्री, उद्यान विभाग