जबलपुर: बरौदा में लगी ग्राम सभा, किसानों ने दबी जुबान से कहा- फर्जी किसानों की धान पहले चढ़ी पोर्टल पर
- कलेक्टर के निर्देश पर लगी ग्राम सभा
- असली सवाल वेयर हाउस के बाहर किसकी धान
- अधिकारियों से तो किसानों ने ज्यादा कुछ नहीं कहा लेकिन बाहर जमकर भड़ास निकाली।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। ग्राम पंचायत बरौदा में धान विक्रय करने वाले किसानों की पहचान के लिए लगाई गई ग्राम सभा में तो किसानों ने कुछ नहीं कहा, वे अधिकारियों की ही सुनते रहे लेकिन दबी जुबान से उन्होंने कहा कि वेयर हाउस में जिन फर्जी किसानों ने धान बेची उनका पंजीयन पहले ही हो चुका, जबकि असली किसानों का पंजीयन बाद में हुआ।
किसानों ने यह भी कहा कि जब जाँच के लिए एसडीएम, जेएसओ, पटवारी और सहकारिता के कर्मचारियों की ड्यूटी थी तो उनसे जानकारी क्यों नहीं ली जा रही है।
कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर शुक्रवार को संयुक्त कलेक्टर श्रीमती नदीमा शीरी व सहायक आपूर्ति अधिकारी संजय खरे द्वारा पनागर ब्लॉक के ग्राम पंचायत बरौदा में धान विक्रय करने वाले किसानों के चिन्हांकन करने ग्राम पंचायत भवन में किसानों की ग्राम सभा आयोजित की गई।
इस दौरान ग्राम पंचायत भवन में कृषकों की सूची चस्पा की गई तथा पढ़कर सुनाई गई और धान विक्रय करने वाले कृषकों का चिन्हांकन किया गया। अधिकारियों से तो किसानों ने ज्यादा कुछ नहीं कहा लेकिन बाहर जमकर भड़ास निकाली।
अधिकारियों से यह भी कहा गया कि वेयर हाउस के अंदर रखी धान उनकी है, जबकि बाहर किसकी है यह पता नहीं।
किसानों के टैग क्यों नहीं हैं- वेयर हाउस में किसकी धान है यदि इस मामले में किसी से पूछा जाए तो वह कहेगा कि बोरियों में लगे टैग से देख लो। नियम है कि हर बोरी में किसान का टैग होना चाहिए कि वह है किसकी, किन्तु वेयर हाउस में रखी धान में टैग नहीं हैं।
आखिर एसडीएम, जेएसओ, पटवारियों और सहकारिता के कर्मचारियों ने यह नियम विरुद्ध कार्य होने कैसे दिया।
कम्प्यूटर ऑपरेटर शामिल हैं गड़बड़ी में
जिन भी वेयर हाउसों में धान मामले में गड़बड़ी की गई है वहाँ के कम्प्यूटर ऑपरेटर पूरी तरह से संलग्न बताए जाते हैं। उन्हें किसानों से लेकर व्यापारियों की पूरी जानकारी होती है और कई वेयर हाउसाें में तो उन्होंने ही गड़बड़ी की है। यही कारण है कि कलेक्टर के निर्देश पर जिन भी समितियों के पदाधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं।