जबलपुर: सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगा डिजिलॉकर वरना न एडमिशन मिलेगा, न ही मार्कशीट
- शिक्षा विभाग ने कहा- एबीसी में रजिस्ट्रेशन न होने पर भुगतना पड़ेगा खामियाजा
- स्टूडेंट्स की एबीसी आईडी बनाने के लिए संस्थान अपने नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करे
- एनआईसी को 30 हजार का डाटा भेज दिया गया
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हायर एजुकेशन के छात्रों के लिए डिजिलॉकर अनिवार्य किया जा रहा है। इसकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डिजिलॉकर के बगैर न छात्र को एडमिशन मिल सकेगा और न ही मार्कशीट।
उच्च शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कहा है कि नियमित और प्राइवेट स्टूडेंट्स के परीक्षा फॉर्म तब तक मान्य नहीं होंगे जब तक उनका रजिस्ट्रेशन एबीसी (अकादमिक) बैंक ऑफ क्रेडिट में नहीं हो जाता है।
शिक्षा विभाग ने अपने निर्देश में यह भी स्पष्ट किया है कि इस व्यवस्था का पालन नहीं करने पर उच्च शिक्षा विभाग के छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना होगा। इसके लिए विश्वविद्यालय के अलावा सभी स्वशासी महाविद्यालयों और अन्य महाविद्यालयों के प्राचार्यों को डिजिलॉकर सिस्टम को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षा विभाग ने कहा है कि स्टूडेंट्स की एबीसी आईडी बनाने के लिए संस्थान अपने नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करे और इस काम को समय-सीमा में पूरा कराए।
छात्रों को खुद बनानी होगी आईडी
आदेश में कहा है कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों द्वारा नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे पीपीटी प्रजेंटेशन के जरिए स्टूडेंट्स को एबीसी में रजिस्ट्रेशन कर उनकी आईडी बनवाने का काम करें।
आईडी बनाने के बाद इसका वेरिफिकेशन करना काॅलेज की जिम्मेदारी होगी। विभाग ने साफ कहा है कि यह काम 31 मार्च 2024 के पहले कराना होगा, ताकि आगामी परीक्षा परिणामों के बाद विद्यार्थियों को दी जाने वाली अंकसूची डिजिलॉकर में रखी जा सके।
रजिस्ट्रेशन नहीं तो परीक्षा फाॅर्म भी नहीं
विभाग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी संकाय से डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों के परीक्षा फाॅर्म तभी स्वीकार किए जाएँगे जब वे एबीसी में रजिस्टर्ड होंगे। ऐसा न होने पर फाॅर्म स्वीकार नहीं किए जाएँगे।
यह कहा गया है कि कोई महाविद्यालय किसी स्टूडेंट का पंजीयन हुए बगैर विश्वविद्यालय को परीक्षा फाॅर्म नहीं भेज सकेगा और कोई विश्वविद्यालय एबीसी रजिस्ट्रेशन के बगैर भरे फाॅर्म स्वीकार नहीं करेगा।
जरूरी है डिजिलॉकर
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा डिजिलॉकर को अनिवार्य किया गया है। विवि में पिछले साल एमपी ऑनलाइन के माध्यम से डेढ़ लाख छात्रों का डाटा अपडेट कर दिया गया था। एनआईसी को 30 हजार का डाटा भेज दिया गया है।
डाॅ. दीपेश मिश्रा, रजिस्ट्रार रादुविवि
अब फायदे भी जानिए
विभाग के अफसरों के अनुसार एक बार अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में रजिस्ट्रेशन होने के बाद स्टूडेंट्स को कोई कागज लेकर नहीं चलना पड़ेगा।
अगर किसी प्रतियोगी परीक्षा के लिए फॉर्म भरा जाएगा तो उसमें अंकसूची नहीं लगानी होगी, सिर्फ एबीसी की जानकारी देनी होगी।
दूसरे राज्यों में पढ़ने जाना हो तो वहाँ भी संबंधित यूनिवर्सिटी में अलग से अंकसूची नहीं ले जानी पड़ेगी। सिर्फ एबीसी रजिस्ट्रेशन बताना होगा।
इसका एक फायदा यह भी होगा कि अंकसूची का सत्यापन कराने के लिए किसी अधिकारी के पास नहीं जाना पड़ेगा। डिजिलॉकर में अंकसूची होना ही सत्यापन माना जाएगा।