जबलपुर: सिविक सेंटर फिर हुआ अराजक, चहुँओर अतिक्रमण, चाहे जब लग जाता है जाम
मनमानी: पहले जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस ने की थी संयुक्त कार्रवाई, फिर बेलगाम हुई व्यवस्था
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
सिविक सेंटर को व्यवस्थित बनाने की सारी कवायदें फेल हो चुकी हैं। बीच सड़क तक लगने वाली दुकानों के अतिक्रमण की वजह से दिन भर लगने वाले जाम के कारण व्यापारी-नागरिक सभी परेशान हैं। लेकिन नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस को इसकी कोई परवाह नहीं। एक तरफ दावा किया जाता है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सिविक सेंटर एरिया को व्यवस्थित मार्केट बनाया जाएगा, लेकिन अतिक्रमणकारियों की मनमानी के आगे सारे दावे और प्रयास असफल साबित हो रहे हैं।
पार्किंग की जगहों पर भी जमे ठेले-टपरे
सिविक सेंटर जेडीए कार्यालय से चौपाटी, दवा बाजार, वंदना टॉकीज रोड से वंदे मातरम चौक के बीच पार्किंग की जगहों पर ठेले-टपरों में लगने वाली दुकानें सबसे बड़ी परेशानी हैं। क्योंकि ग्राहकों के लिए गाड़ियाँ खड़ी करने के लिए जगह नहीं बचती, जिसके कारण निर्धारित दुकानों में आने वालों को सड़क पर ही वाहन पार्क करने पड़ते हैं, जिसके कारण जाम लगता है। सबसे ज्यादा परेशानी शाम से रात 11 बजे के बीच होती है, जिसके कारण पैदल चलना भी दूभर हो जाता है।
तत्कालीन कलेक्टर ने बनाई थी बेहतर योजना
क्षेत्रीय व्यापारियों ने बताया कि करीब एक वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर इलैयाराजा टी ने सिविक सेंटर को व्यवस्थित बनाने के लिए सार्थक पहल की थी। उन्होंने नगर निगम और पुलिस विभाग को साथ लेकर संयुक्त कार्रवाई की थी। जिसके बाद सिविक सेंटर में अतिक्रमण कम हुए थे और पार्किंग के साथ पैदल चलने वालों को भी सुविधा मिलने लगी थी। लेकिन उनका तबादला होने के बाद ठेले-टपरों में लगने वाली दुकानें के पुराने ढर्रे पर आ जाने और अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद होने से अब फिर से अराजकता का माहौल निर्मित हो गया है।
व्यवस्थित करने हो पुख्ता कार्रवाई
क्षेत्रीय व्यापारियों का कहना है कि सिविक सेंटर एक तरह से शहर का हृदय स्थल है। यहाँ यातायात का दबाव सुबह से रात तक बना रहता है। सड़कों पर लगी रही दुकानों की वजह से एक तरफ यातायात बाधित होता है। वहीं बाहर से आने वाले लोगों में हमारे शहर की गलत और अराजक तस्वीर पेश होती है। वहीं जागरूक नागरिकों का कहना है कि किसी के कारोबार से किसी को ऐतराज नहीं है, लेकिन कम से कम बाजार और दुकानों को व्यवस्थित तो किया ही जाना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर संयुक्त कार्रवाई जरूरी है। अफसर चाहें तो सड़क पर दुकान लगाने वालों को हॉकर्स जाेन में भी शिफ्ट किया जा सकता है।