जबलपुर: 17 प्रमुख चौराहों की ऑटो लेन शुरुआती 70 दिन में ही हो गई गायब, फिर पुराने ढर्रे पर आई व्यवस्था

  • नतीजा सभी चौराहों पर मच रही सवारी बैठाने की होड़
  • न नियम का पालन और न ही कार्रवाई का भय
  • आटो लेन जहाँ गायब हो गई वहीं जिम्मेदार भी व्यवस्था का पालन कराने में फेल रहे।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-12 09:48 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर के 17 प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक को सिस्टम में लाने के लिए ऑटो लेन बनाई गई ताकि ऑटो इन मुख्य प्वाइंट्स पर यातायात न बिगाड़ सकें। चौराहों पर मार्किंग की गई और ऑटो के लिए रूट के साथ लेन निर्धारित की गई, ताकि इस तय सीमा से चालक अपने वाहन बाहर न ले जा सकें।

यात्री को इस सीमा में बैठाकर आगे अपने गंतव्य की ओर रवाना हो सकें, लेकिन अफसोस 17 ऑटो लेन ने शुरुआती 70 दिन में ही दम तोड़ दिया और व्यवस्था उसी पुराने ढर्रे पर आ गई। अब चौराहों पर ऑटो लोगों के लिए फजीहत पैदा कर रहे हैं।

ट्रैफिक एक्सपर्ट का कहना है कि यातायात और परिवहन के लिए सभी प्रमुख जिम्मेदार विभागों ने सवारी बैठाने, वाहन को खड़ा करने के लिए लेन निर्धारित किए थे। इसमें व्यवस्था ऐसी थी कि ऑटो चालक इसी ऑटो लेन के भीतर से आएँगे और तत्काल सवारी बैठाकर रवाना हो जाएँगे पर समय के साथ जिम्मेदारों की अनदेखी से ये व्यवस्था चौपट हो गई।

आटो लेन जहाँ गायब हो गई वहीं जिम्मेदार भी व्यवस्था का पालन कराने में फेल रहे। फिलहाल बिना रूट, बिना ऑटो लेन के ई-रिक्शा शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को चौपट कर रहे हैं और सभी प्रमुख लोग इसकी हर स्तर पर अनदेखी कर रहे हैं।

और शहरों में पूरी तरह पालन

इंदौर, भोपाल जैसे शहरों में ऑटो चालक ड्रेस कोड का पालन करते हैं। परमिट, लाइसेंस, स्पीड, रूट, ऑटो लेन हर उस रूट का पालन किया जाता है जो ऑटो चालकों को कन्ट्रोल करने के लिए जरूरी है। शहर में इससे ठीक विपरीत हालात हैं। शहर में जितना ट्रैफिक अतिक्रमण की वजह से नहीं होता, उससे कहीं ज्यादा ऑटो व ई-रिक्शा ट्रैफिक का कबाड़ा कर रहे हैं।

बसों के लिए भी फजीहत बने

ऑटो चालक शहर की सार्वजनिक परिवहन की रीढ़ सिटी बस सर्विस के लिए भी परेशानी पैदा कर रहे हैं। हर दिन 100 सिटी बसें शहर में संचालित होती हैं। इन बसों के आगे ऑटो, ई-रिक्शा चलते हैं और बसों को आगे निकलने ही नहीं देते।

ज्यादातर बसें इनके चक्कर में सड़कों पर रेंगती रहती हैं। इससे कहीं न कहीं पूरे ट्रैफिक पर असर पड़ता है। इसको लेकर सिटी बस सेवा के पदाधिकारियों ने नगर निगम कमिश्नर और प्रशासन से कई बार शिकायत भी की है।

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