विश्व कुष्ठ रोग दिवस: हर साल मिल रहे करीब 250 कुष्ठ रोगी, 100 मरीजों की रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी
- प्रदेश का इकलौता शासकीय अस्पताल जहाँ रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की सुविधा लेकिन मरीजों के लिए अलग वार्ड तक नहीं
- अस्पताल में कुष्ठ रोगियों के लिए अलग से वार्ड नहीं
- प्रदेश में रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के 2 केंद्र हैं, जिसमें शासकीय स्तर पर जिला अस्पताल इकलौता है
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। कुष्ठ रोग या लेप्रोसी की समस्या पीड़ित मरीज भले ही समय के साथ कम हुए हैं, लेकिन अभी भी जिले में हर साल करीब 250 नए कुष्ठ रोगी सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी में जागरूकता एक अहम पड़ाव है, जोकि इसके प्रसार के साथ उपचार में भी जरूरी है।
जागरूकता के अभाव और उपचार में देरी के चलते मरीजों में रोग गंभीर अवस्था में पहुँच जाता है, जिसके चलते अंगों में टेढ़ापन, आँखों और नाक पर प्रभाव देखने मिलता है। जिसका उपचार रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी द्वारा किया जाता है।
बता दें कि जिला अस्पताल विक्टोरिया प्रदेश का एक मात्र शासकीय अस्पताल है, जहाँ कुष्ठ रोगियों की रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की जा रही है, हालाँकि इसके बाद भी अस्पताल में कुष्ठ रोगियों के लिए अलग से वार्ड नहीं है।
अस्थि रोग विभाग के वार्ड में कुष्ठ रोगियों के लिए 10 बेड आरक्षित किए गए हैं, जहाँ सर्जरी के बाद मरीजों को भर्ती किया जाता है। वर्तमान में करीब 10 मरीज भर्ती हैं। बता दें कि विश्व कुष्ठ दिवस हर साल जनवरी के आखिरी रविवार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुष्ठ रोग या हैनसेन रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
दो प्रकार के मरीज
चिकित्सकों के मुताबिक रोग की गंभीरता को देखते हुए कुष्ठ रोगियों का उपचार दो तरह से होता है। शुरुआत के लक्षणों वाले मरीजों को 6 माह का ट्रीटमेंट दिया जाता है, वहीं गंभीर लक्षणों की स्थिति 12 माह का ट्रीटमेंट चलता है।
कुल मरीजों में से करीब 2 प्रतिशत मरीजों को सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सबसे ज्यादा उंगलियों में टेढ़ापन की समस्या देखने मिलती है, जिसे सर्जरी कर ठीक किया जाता है।
दूसरे संभागों से भी आते हैं मरीज
जिला लेप्राेसी इंचार्ज डॉ. नवीन कोठारी ने बताया कि प्रदेश में रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के 2 केंद्र हैं, जिसमें शासकीय स्तर पर जिला अस्पताल इकलौता है। यहाँ हर साल 100 मरीजों की सर्जरी होती है। सर्जरी के लिए कैंप भी लगाए जाते हैं।
जिसमें न सिर्फ जबलपुर बल्कि आस-पास के संभागों से मरीज आते हैं। मरीजों का उपचार नि:शुल्क होता है। साथ ही सर्जरी के बाद शासन द्वारा 12 हजार की आर्थिक मदद भी दी जाती है। यह बीमारी साँस से फैलती है, ऐसे में लक्षण नजर आने पर शासकीस अस्पताल से संपर्क करना चाहिए और घर के सदस्यों की भी जाँच करानी चाहिए।
मानव स्पर्श से नहीं फैलता कुष्ठ रोग
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव सक्सेना ने बताया कि यह एक आम रूढ़िवादी धारणा है कि कुष्ठ रोग मानव स्पर्श से फैलता है, जो सच नहीं है।
वास्तव में, यह बीमारी अनुपचारित कुष्ठ रोग से पीड़ित किसी व्यक्ति की नाक और मुँह से निकलने वाली बूंदों के निकट और बार-बार संपर्क में आने से होती है। व्यस्कों की तुलना में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर बच्चों में कुष्ठ रोग होने की संभावना अधिक होती है।
सही समय पर इलाज शुरू होने पर 6 महीने से लेकर डेढ़ साल के अंदर इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।