जबलपुर: पट्टे के 9380 केस पेंडिंग, 3 साल में 18 हजार लोगों ने किया आवेदन
तहसील कार्यालय कर रहे लेटलतीफी, आवेदक घूम रहे कलेक्ट्रेट में, कलेक्टर कह चुके हैं कि शीघ्र किया जाए निराकरण
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
कलेक्टर लगातार धारणाधिकार यानी पट्टे के प्रकरणों का निराकरण करने के निर्देश दे रहे हैं, इसके बाद भी करीब 9380 प्रकरण लम्बित हैं। इतनी बड़ी संख्या में प्रकरण लम्बित रहने से आवेदक कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहे हैं। कोई जनसुनवाई में शिकायत कर रहा है तो कोई सीधे कलेक्टर या अपर कलेक्टर के पास पहुँच रहा है। पिछले 3 साल में पट्टे के 18 हजार से अधिक आवेदन किए गए हैं लेकिन उस हिसाब से उनका निराकरण नहीं हो पा रहा है, जिससे लोगों में नाराजगी है। सबसे अधिक 2647 प्रकरण राँझी तहसील के लम्बित हैं, जबकि सबसे कम कुंडम के। कलेक्ट्रेट पहुँचे गोरखपुर के कई लोगों ने बताया कि उन्होंने काफी समय पहले पट्टे के लिए आवेदन किया था, लेकिन लगातार बहाना बनाया जा रहा है। कभी कहा जाता है कि बस होने ही वाला है तो कभी तहसीलदार या पटवारी के पास भेज दिया जाता है। हम वर्षों से जिस मकान में रह रहे हैं, आखिर उसका पट्टा देने में इनका क्या जा रहा है। लोगाें का कहना है कि हम तहसील कार्यालय जाते हैं तो कलेक्ट्रेट भेजा जाता है और यहाँ आते हैं तो तहसील कार्यालय जाने की बात कही जाती है। आखिर कोई सच क्यों नहीं बताता। यह समस्या केवल किसी एक क्षेत्र की नहीं, बल्कि हर तहसील की है। लोग परेशान हो रहे हैं और अधिकारी कलेक्टर के निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं।
आँकड़ों में पट्टों की कहानी
वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक पट्टों के लिए कुल 18762 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 9382 का निराकरण किया गया है, जबकि 9380 प्रकरण लम्बित हैं। जिन 9382 प्रकरणों का निराकरण हुआ है, उनमें भी 3142 प्रकरणों में आवेदकों को पट्टे प्रदान किए गए हैं, यानी उनका प्रकरण सकारात्मक रहा, जबकि 6240 प्रकरण निरस्त किए गए, यानी उनका मामला नकारात्मक रहा।
सीधे तहसील जाने की सलाह
कलेक्ट्रेट पहुँचे पीड़ितों से अब अधिकारियों ने यह कहना शुरू कर दिया कि आपके प्रकरण तहसील स्तर पर रुके हुए हैं, इसलिए वहाँ जाकर अधिकारियों और पटवारियों से सम्पर्क किया जाए।
जितने निराकृत, उतने ही पेंडिंग
अब तक 9382 प्रकरणों का निराकरण हुआ है, जबकि 9380 प्रकरण लम्बित हैं। इनमें सबसे अधिक 2647 प्रकरण राँझी तहसील के हैं। उसके बाद 2525 प्रकरण गोरखपुर के, 2179 प्रकरण अधारताल के, सिहोरा के 677, पनागर के 578, बरेला के 298, मझौली के 231, शहपुरा के 176, पाटन के 66 और कुंडम के कुल 3 प्रकरण लम्बित हैं।