सिंचाई योजना की पाइप लाइन के कारण खेती नहीं कर पा रहे आठ गांव के किसान
शीघ्र नुकसान का मुआवजा न देने पर आंदोलन की चेतावनी
डिजिटल डेस्क, आरमोरी(गड़चिरोली)। किसानों के खेतों तक सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं क्रियान्वित की गयी है। जिलेभर में लघु सिंचाई योजना के माध्यम से किसानों की फसलों को सिंचित करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन आरमोरी तहसील के 8 गांवों के किसानों के लिए लघु सिंचाई योजना का कार्य अभिशाप बनते दिखाते दे रहा है। योजना के तहत किसानों के खेतों में पाइप लाइन डाला गया। खेत में मिट्टी का मलबा पड़ा रहने से इस वर्ष किसान खेतों में धान की फसल नहीं लगा पाए। फलस्वरूप किसानों को वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ रहा है। खरीफ सत्र में हुए नुकसान का मुआवजा न देने पर अब किसानों ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने लघु सिंचाई विभाग के माध्यम से तहसील में डोंगरगांव-ठाणेगांव लघु सिंचाई योजना मंजूर की है। इस योजना के तहत क्षेत्र के डोंगरगांव, ठाणेगांव, वासाला, वनखी, चामोर्शी, चामोर्शी माल, आरमोरी, शेगांव आदि गांवों के किसानों के खेतों में पाइप लाइन बिछाया गया। किसानों के खेतों में जगह-जगह खाेद कर पाइप डाली गयी है।
यह कार्य खरीफ सत्र से पूर्व पूर्ण करना आवश्यक था। लेकिन खरीफ सत्र के बीच में ही यह कार्य शुरू करने से अब उक्त गांवों के किसान अपने ही खेत में फसल नहीं उगा पा रहे हंै। सारे खेतों में मिट्टी का मलबा जमा पड़ा है। बुधवार को कांग्रेस कमेटी के जिला उपाध्यक्ष दिलीप घोडाम ने नुकसानग्रस्त किसानों के खेतों में पहुंचकर किसानों की समस्या जानने का प्रयास किया। इस समय अिधकांश किसानों ने इस वर्ष धान की फसल नहीं बोने का नजर आया। किसानों ने बताया कि, पाइप लाइन बिछाने का कार्य बारिश पूर्व किया गया होता तो सभी किसान अपने खेतों में विभिन्न प्रकार की फसल लगा पाते थे। लेकिन लघु सिंचाई विभाग की लापरवाहपूर्ण कार्यप्रणाली से इस वर्ष किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। नुकसानग्रस्त किसानों को तत्काल मुआवजा न देने पर लघु सिंचाई विभाग के कार्यालय के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पर मोर्चा निकाला जाएगा। ऐसी चेतावनी इस समय कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष दिलीप घोडाम, तहसील अध्यक्ष व पार्षद मिलिंद खोब्रागडे ने दी है। इस समय मोहन पिपरे, लिंबाजी पिपरे, सुभाष भुरसे, घनश्याम पिपरे, मंगेश रोहणकर, भैयाजी उरकुडे, जगदिश रामटेके, नेहरू चापले, नामदेव ऊईके, महादेव ऊईके, दादाजी मेत्राम रूपचंद बारसागडे समेत अन्य नुकसानग्रस्त किसान उपस्थित थे।