करोड़ों की मिल रही निधि फिर भी विकास शून्य , कभी खाट पर, कभी कंधे पर ढोए जाते हैं शव
मूलभूत सुविधाओं को तरह रही जनता
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। देश के अतिपिछड़े 35 जिलों की सूची में शुमार आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले के विकास पर केंद्र व राज्य सरकार प्रति वर्ष करोड़ों रुपए की निधि उपलब्ध करायी जाती है। इस निधि से सुदूर इलाकों में अब तक विकास की गंगा पहुंच नहीं पायी है। इसी कारण आदिवासी नागरिकों को सदियों से पक्की सड़क के साथ स्वास्थ्य सुविधा और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना ही पड़ रहा है। इस वर्ष सरकार ने आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए 18 करोड़ 46 लाख रुपए की निधि को प्रशासकीय मंजूरी दी है। बावजूद इसके आदिवासी समाज के नागरिकों को अस्पताल से अपने घर तक शव ले जाने के लिए भी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाती। इतना ही नहीं छोटी सी छोटी जरूरतों के लिए भी ग्रामीणों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। बता दें कि, 26 अगस्त 1982 में चंद्रपुर जिले से विभक्त कर गड़चिरोली का पृथक निर्माण किया गया। पृथक गड़चिरोली जिले को अब पूरे 41 वर्ष पूर्ण हो चुके हंै। जिले के ग्रामीण अंचल का आज भी विकास नहीं हो पाया। आदिवासी क्षेत्र में विकास पहुंचाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प के माध्यम से कार्य किया जाता है। गड़चिरोली जिले में इस विभाग के तीन प्रकल्प कार्यालय होकर इसमें गड़चिरोली, अहेरी और भामरागढ़ प्रकल्प का समावेश है।
तीनों प्रकल्प के तहत आदिवासी समाज के लोगों की संख्या काफी अधिक है। इन लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए वर्ष 2023-24 के लिए सरकार ने 18 करोड़ 46 लाख 36 हजार रुपए की निधि को मंजूरी प्रदान की है। इस निधि से बिरसा मुंडा कृषि क्रांति योजना से आदिवासी किसानों को विभिन्न प्रकार के लाभ के साथ खेतों में सिंचाई की सुविधा, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने गाय, बकरी व मुर्गियों का वितरण, पेसा क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को 5 प्रतिशत अबंध निधि, मामा तालाबों की मरम्मत, व्यायाम शाला का विकास करना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के इमारतों की मरम्मत, गांव की स्कूल व आंगनवाड़ी में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ साथ गांवों को मुख्य सड़क तक जोड़ने के लिए पक्की सड़कों के निर्माणकार्य जैसे कार्य प्रस्तावित किए जाते हैं। जलसंकट से जूझ रहे गांवों में जलापूर्ति योजना क्रियान्वित करने के अलावा आदिवासी क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध कराने के कार्य भी हर वर्ष किए जाते हंै। आदिवासी विकास के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपए की निधि उपलब्ध होने के बाद भी जिले के ग्रामीण अंचल का विकास आज भी शून्य है। बुनियादी सुविधाओं के लिए आदिवासी नागरिकों को सदियों से तरसना पड़ रहा है। किसी भी अपातकालीन स्थिति में स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा आदिवासियों के केवल आंसू पोछने का कार्य किया जाता है। लेकिन योजनाओं के प्रभावी अमल पर अब तक सख्त रवैया नहीं अपनाने से आजादी के बाद भी गड़चिरोली के आदिवासी नागरिकों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।