छिंदवाड़ा: स्वास्थ्य सुविधाओं के हालात, गायनिक वार्ड में बेड के लिए संघर्ष, गर्भवती हो रही परेशान

  • स्वास्थ्य सुविधाओं के हालात, गायनिक वार्ड में बेड के लिए संघर्ष, गर्भवती हो रही परेशान
  • मरीज के परिजन और स्टाफ के बीच बनती है विवाद की स्थिति

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-17 04:30 GMT

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड में गर्भवती महिलाओं को बेड के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। दरअसल १२० बेड की क्षमता वाले गायनिक वार्ड में दोगुना पेशेंट आ रहे है। ऐसे में कई पेशेंट बेड के लिए यहां-वहां भटकते है। बेड के लिए लगभग रोजाना ही वार्ड में विवाद होते है। कई बार तो मरीज के परिजन और स्टाफ के बीच मारपीट की नौबत आ गई।

स्टाफ के मुताबिक रोजाना लगभग ३० प्रसूताओं की वार्ड से छुट्टी होती है। इसके विपरीत ५० से ६० गर्भवती महिलाएं रोज भर्ती होती है। इसके अलावा एसएनसीयू में भर्ती शिशुओं की माताओं को बेड की जरुरत होती है। इसी के साथ सीजर, एनीमिक और बच्चेदानी के ऑपरेशन वाली महिलाएं भी भर्ती है। इस वजह से वार्ड में बेड की कमी बनी हुई है। खासकर रात के वक्त आने वाले पेशेंट बेड के लिए परेशान होते है।

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न जाने कब बनेगी नई गायनिक बिल्डिंग-

गायनिक वार्ड को अतिरिक्त दबाव से मुक्त करने शासन द्वारा नई मेटरनिटी विंग बनाई जानी है, लेकिन अभी तक इसकी शुरूआत नहीं हो पाई है। यह बिल्डिंग तैयार होती है तो अत्याधुनिक मेटरनिटी विंग में मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर, लेबर रूम, प्री-पोस्ट लेबर रूम और एएनसी वॉर्ड की सुविधा मिलेगी। पांच मंजिला इमारत में आइसोलेशन वॉर्ड, मेटरनिटी वॉर्ड, पीआईसी, एचडीयू, एनबीएसयू और एसएनसीयू रहेगा।

१२० बेड की क्षमता, २०० से अधिक पेशेंट-

जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड की क्षमता १२० बेड की है। ३० बेड का एक अतिरिक्त वार्ड बनाने पर बेड की क्षमता १५० हो गई है, लेकिन गायनिक वार्ड में रोजाना लगभग २०० गर्भवती महिलाएं भर्ती की जाती है। वार्ड में अतिरिक्त बेड लगाने के बाद भी अव्यवस्था बनी हुई है।

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गायनिक वार्ड में प्रसव की स्थिति...

माह डिलेवरी

जनवरी ९३१

फरवरी ९५३

क्या कहते हैं अधिकारी-

जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड में मरीजों का दबाव काफी बढ़ गया है। अस्पताल में बेड तो पर्याप्त है लेकिन वार्ड में रखने के लिए जगह नहीं है। इस वजह से दिक्कतें आ रही है। नई बिल्डिंग में एक और अतिरिक्त वार्ड तैयार कराया जाएगा।

- डॉ. एमके सोनिया, सीएस, जिला अस्पताल

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