पास होने पर गांव में जश्न: रील लाइफ से मिलती रियल लाइफ की स्टोरी, 10 बार फेल होने के बाद 11वीं बार मिली सफलता

  • लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती
  • 10 बार फेल होने का बाद 11वीं बार मिल ही गई सफलता
  • ढोल नगाड़ों के साथ पूरे गांव में जुलूस निकाला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-28 14:36 GMT

डिजिटल डेस्क, बीड़, सुनील चौरे। रील लाइफ जैसा रियल लाइफ का जश्न, जश्न जो पूरे गांव ने मिलकर मनाया। इस रियल लाइफ की खबर बताने से पहले जरा रील लाइफ की कहानी की बात करते हैं, जिसमें साल 2023 में विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म 12वीं फेल आई थी, उसमें मुख्य किरदार के संघर्ष और हर बार उसकी शून्य से शुरुआत कुछ इस रीयल लाइफ की खबर से मिलती है। जिसमें 10 बार दसवीं में फेल होने के बाद आखिरकार छात्र को सफलता मिल गई, जैसे ही उसके पास होने की खबर फैली तो पूरे गांव ने जश्न मनाया।


खबर परली तहसील के डाबी गांव की है, जहां रहने वाले साइनस उर्फ नामदेव मुंडे का बेटा कृष्णा साल 2018 में पहली बार 10वीं कक्षा में फेल हो गया था। इसके बाद कृष्णा ने हार नहीं मानी, एक के बाद एक परीक्षा में भाग लिया, दस बार फेल होने के बाद ग्यारहवीं बार जब उसे सफलता मिली, तो उसके मजदूर पिता नामदेव मुंडे के सब्र को भी पंख लग गए और उनकी आंखे भर आईं।   


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बेटे के बार-बार फेल होने के बावजूद मजदूर पिता उसे ढांढस बांधते रहे, वे कहते रहे कि कुछ नहीं होता फिर प्रयास करो, जब तक सफलता नहीं मिलती प्रयास करते रहो। बस पितता की कही यह बात कृष्णा ने गांठ बाध ली। हर साल वो प्रयास करता, लेकिन निराशा ही हाथ लगती। इसके अलावा घर की हालत ठीक नहीं है, उसके पिता नामदेव ने अपना पूरा जीवन अत्यधिक कठिनाई में काम करते हुए बिताया है। वे चाहते थे कि चाहे कुछ भी हो, उनका बेटा 10वीं कक्षा पास जरूर कर ले। इसलिए उन्होंने कृष्णा को परीक्षा देते रहने के लिए बार-बार हिम्मत दी।


सोमवार को जब बोर्ड के नतीजे घोषित हुए, तो ऑनलाइन पास छात्रों की लिस्ट में कृष्णा का नाम दिखा, इसके बाद तो परिवार की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। कृष्णा के पास होने की खुशी में गांववालों ने ढोल नगाड़ों के साथ पूरे गांव में जुलूस निकाला।

दस बार असफल होने के बाद कृष्णा को सफलता मिल ही गई। पिता बहुत खुश है, पूरा गांव कृष्णा को बधाई दे रहा है। मानो इस बीच सोहनलाल द्विवेदी की लिखी रचना उत्साह भर रही है।

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती 

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