पोला पर्व: लंपी वायरस साए में किसानों ने बैलों का किया पूजन, इस बार जुलूस पर लगा था प्रतिबंध
- बैलों को एक साथ लाने और जुलूस निकालने पर रोक
- लंपी वायरस का बढ़ा संक्रमण
- कई पशु बीमार
डिजिटल डेस्क, बीड। गुरुवार के दिन किसानो ने एक दिन के लिए खेत का काम बंद कर बैलों का पूजन किया। इसके साथ ही पोला पर्व मनाया गया। भादो अमावस्या के दिन बैल और गाय की रस्सियां खोल दी जाती है। उनके पूरे शरीर में हल्दी, उबटन, सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाती है, उन्हें अच्छे से नहलाया जाता है। इसके बाद सजाया जाता है। गले में खूबसूरत घंटी की माला पहनाई जाती है। बैलों का श्रृंगार कर पूजन के बाद प्रसाद का भोग लगाने की परंपरा है। पिछले साल बैलों का जुलूस निकाला गया था, लेकिन कुछ दिनों से लंपी वायरस संक्रमण के चलते इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया।
कई पशु इस वायरस के चमेट में आ गए हैं। संक्रमण तेजी से फैले इसे लेकर जिलाधिकारी दीपा मुधोल-मुंडे ने जुलूस निकालने पर रोक लगाई थी। 168 स्थानों पर लंपी वायरस के रोग के कारण पशुओं की मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। संक्रमण अन्य पशुओं में फैलने की संभावना को ध्यान में रखते हुए पशु संक्रमण और रोग निवारण अधिनियम, 2009 के तहत निर्देश जारी किए गए थे। पशुपालकों और किसानों को घर पर ही पोला मनाने और जानवरों को एक साथ नहीं लाने की सलाह दी गई। जिले में संक्रमण से कुल 979 पशु रोगी हैं।