करार: अब ग्रेजुएशन के साथ ऑनलाइन कोर्सेस भी कर सकेंगे, आई लाइक के तहत 200 पाठ्यक्रमों की शुरुआत
- नई शिक्षा नीति के तहत तैयार किए पाठ्यक्रम
- स्नातक के साथ ऑनलाइन कोर्सेस भी कर सकेंगे स्टूडेंट
डिजिटल डेस्क, छत्रपति संभाजीनगर। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय एवं संलग्नित महाविद्यालयों में स्नातक की पढ़ाई करते समय विद्यार्थी स्नातक डिग्री के साथ-साथ आई लाइक पाठ्यक्रम के तहत अन्य ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की पढ़ाई भी कर सकेंगे। महाराष्ट्र ज्ञान महामंडल के साथ इन पाठ्यक्रमों को लेकर विश्वविद्यालय का सोमवार को करार हुआ है। इसके अनुसार शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से आई लाइक पाठ्यक्रमों पर अमल शुरू हो जाएगा। जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से दी गई है।
ऐसी होगी पाठ्यक्रमों की रूप-रेखा
आई लाइक पाठ्यक्रम को लेकर कुलपति डॉ. विजय फुलारी की अध्यक्षता में प्रबंधन परिषद कक्ष में सोमवार को बैठक हुई जिसमें प्र-कुलपति डॉ. वाल्मिक सरवदे, कुलसचिव डॉ. प्रशांत अमृतकर, अधिष्ठाता डॉ. महेंद्र सिरसाठ, डॉ. बीना हुंबे, डॉ. वैशाली खापर्डे, परीक्षा व मूल्यांकन मंडल की संचालक डॉ. भारती गवली प्रमुख रूप से उपस्थित थे। बैठक में महाराष्ट्र ज्ञान महामंडल के प्रबंध संचालक बीना कामत, वरिष्ठ महा प्रबंधक रेवती नामजोशी, विभागीय समन्वयक बालकिशन बलदवा, जिला समन्वयक सिद्धार्थ पाटील, समन्वयक गजानन कुलथे, समन्वयक शेख इलियास व अन्य शामिल हुए।
नई शिक्षा नीति के तहत तैयार किए पाठ्यक्रम
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रशांत अमृतकर व एमकेसीएल की ओर से बीना कामत ने करार पर हस्ताक्षर किए। महाराष्ट्र ज्ञान महामंडल की ओर से आई लाइक अर्थात इन्व्रेडेबल लर्निंग इनोवेशन्स फॉर नॉलेज एम्पॉवरमेंट नामक ऑनलाइन कोर्सेस की बास्केट तैयार की गई। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के साथ नॉलेज पार्टनर के रूप में एमकेसीएल काम करेगा। बिजन ओरिएंटेटिड, ओपन-इलेक्टिव और क्वालिटी एन्हान्समेंट ऐसे तीन ग्रुप पाठ्यक्रम के रहेेंगे। इनके अलावा स्नातक के और चार कोर्सेस शामिल किए जाएंगे। डॉ जोशी ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत ऐसे पाठ्यक्रमों को तैयार किया गया है।
160 काॅलेज में कोर्सेस शुरू
डॉ जोशी ने बताया कि अब तक 160 महाविद्यालयों में यह पाठ्यक्रम शुरू हैं। इनके प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है। प्र-कुलपति डॉ सरवदे ने कहा कि अधिक से अधिक विद्यार्थी वर्ग में उपस्थित रहने का प्रयास करें। यहां से उन्हें तकनीकी ज्ञान व राेजगार एवं स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए विश्वविद्यालय प्रयत्नशील रहेगा।