छत्रपति संभाजीनगर: हाईकोर्ट ने कहा - जाति वैधता प्रमाण-पत्र नियुक्ति देने का कारण नहीं हाे सकता
- औरंंगाबाद खंडपीठ के न्यायमूर्ति रवींद्र घुगेे व न्यायमूर्ति आर.एम. जोशी की पीठ
- जाति वैधता प्रमाण-पत्र नियुक्ति देने का कारण नहीं हाे सकता
डिजिटल डेस्क, छत्रपति संभाजीनगर। जाति प्रमाण-पत्र जांच के लिए समिति के पास लंबित होने के प्रकरण में नियुक्ति नहीं देने का कारण नहीं हो सकता। एक प्रकरण में उक्त आदेश देने के साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंंगाबाद खंडपीठ के न्यायमूर्ति रवींद्र घुगेे व न्यायमूर्ति आर.एम. जोशी की पीठ ने स्पष्ट किया कि शिक्षासेवक जब तक वैधता प्रमाण-पत्र पेश नहीं कर दे, तब तक स्थायी नहीं किया जाए। संबंधित के वैधता प्रमाण-पत्र के दावे पर 30 अप्रैल, 2025 तक निर्णय लेकर प्रकरण का निपटान करने का आदेश दिया।
यह है प्रकरण
रेखा पिराजी कोट्टावार ने शिक्षक सेवक पद के लिए राज्य सरकार के पवित्र पोर्टल के जरिए अर्जी की थी। संबंधित का कोल्हापुर जिला परिषद में अनुसूचित जनजाति महिला खिलाड़ी संवर्ग से चयन हुआ। उसके प्रमाण-पत्र की पड़ताल की, तब उसके पास वैधता प्रमाण-पत्र नहीं था। इस कारण उसे नियुक्ति नहीं देने की बात कोल्हापुर जिप ने स्पष्ट की। वैधता संबंधी प्रस्ताव कोट्टावार ने 3 अप्रैल, 2024 को अनुसूचित जनजाति प्रमाण-पत्र जांच समिति किनवट, मुख्यालय छत्रपति संभाजीनगर के पास पेश किया था।
इसके बाद कोट्टावार ने एड. चंद्रकांत थाेरात के जरिए खंडपीठ में याचिका दी की। प्रकरण में एड. थोरात ने श्रीकांत च्रंद्रकांत सैदाणे व अन्य विरुद्ध महाराष्ट्र सरकार के निर्णय का आधार लिया। कहा कि नियुक्ति के समय वैधता प्रमाण-पत्र की अावश्यकता नहीं है।
आरक्षण से चयन हुए व्यक्ति को वैधता के अभाव में नियुक्ति से वंचित नहीं रखा जा सकता। खंडपीठ ने १० मई के आदेश के जरिए स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता का वैधता दावा समिति के पास लंबित होने से उसे नियुक्त नहीं देने का कारण नहीं हो सकता। वैधता प्रमाण-पत्र पेश होने तक याचिकाकर्ता को स्थायी नहीं करने की बात भी आदेश में कही गई।