नाराजगी: अनशनकर्ता खांडेकर ने उपचार के दौरान तोड़ा दम, अनशन के तीसरे दिन से बिगड़ी थी हालत

  • चारघड़ के प्रकल्पग्रस्त 16 जनवरी से मोर्शी के एसडीओ कार्यालय पर कर रहे आंदोलन
  • 19 जनवरी से भर्ती थे अस्पताल में
  • आर्थिक मदद देने की मांग

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-27 10:37 GMT

डिजिटल डेस्क, अमरावती। मोर्शी तहसील के चारघड़ प्रकल्प के बोडना गांव के प्रकल्पग्रस्त किसानों ने अपनी मांगों के लिए 16 जनवरी से मोर्शी उपविभागीय अधिकारी कार्यालय के सामने बेमियादी आमरण अनशन शुरू किया था। इसमें गांव के प्रकल्पग्रस्त अपने बच्चों के साथ सैकड़ों की संख्या में सहभागी हुए थे।

अनशन के तीसरे दिन तीन अनशनकर्ताओं की तबीयत बिगड़ने से उन्हें मोर्शी के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। किंतु 65 वर्षीय अनशनकर्ता हरीशचंद्र खांडेकर की तबीयत बिगड़ने से उन्हें जिला अस्पताल और वहां से सुपर स्पेशलिटी में रेफर किया गया था। उपचार के दौरान 25 जनवरी को उनकी मौत हो गई।

मोर्शी के उपविभागीय अधिकारी कार्यालय के सामने विदर्भ बलिराजा प्रकल्पग्रस्त संघर्ष संगठन की ओर से प्रकल्पग्रस्तों की मांगों के लिए 16 जनवरी से अनशन शुरू था। इस बीच तीन अनशनकर्ताओं की 19 जनवरी को तबीयत बिगड़ने से उन्हें मोर्शी के उपजिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसमें से दो प्रकल्पग्रस्तों को दो दिन बाद छुट्टी दे दी गई थी। किंतु हरीशचंद्र खांडेकर की तबीयत चिंताजनक रहने से उसे इर्विन रेफर किया गया था। वहां से हरीशचंद्र खांडेकर को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में रेफर किया गया। वहां उपचार शुरू रहते समय 25 जनवरी को शाम 7 बजे उसकी मौत हो गई।

विदर्भ बलिराजा प्रकल्पग्रस्त संघर्ष संगठन के अध्यक्ष मनोज चव्हाण ने बताया कि पुलिस व उपविभागीय अधिकारी कार्यालय ने लापरवाही बरतते हुए पहले इर्विन अस्पताल तथा वहां से रेफर करने पर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हरिशचंद्र खांडेकर का नाम प्रकल्पग्रस्त अनशनकर्ता के रूप में नहीं दर्ज किया गया। यह बात उन्होंने जिला प्रशासन के और जलसंपदा विभाग के मुख्य अभियंता टाले के ध्यान में लाकर दी और मृत अनशनकर्ता के परिजनों को आर्थिक मदद देने की मांग की है। आरोप है कि अस्पताल में तुरंत उपचार करने की बजाए यहां से वहां भेजकर समय बर्बाद किया गया इसलिए अनशनकर्ताओं की हालत और बिगड़ गई।

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