आक्रोश: किसान और मजदूरों के मुद्दे पर 30 जनवरी को संसद पर मोर्चा
ओबीसी और मराठा समाज की मांगें भी रखी जाएंगी
डिजिटल डेस्क, अमरावती। राज्य सरकार दलित व आदिवासियों की समस्या की ओर अनदेखी कर रही है। इस कारण आचार संहिता घोषित होने से पहले केंद्र सरकार के पास दलित, भूमिहीन आदिवासी ओबीसी, मराठा तथा किसान व खेत मजदूरों के मुद्दों को लेकर 30 जनवरी को मोर्चा निकाला जाएगा। यह घोषणा दलित पैंथर के जगदीशकुमार इंगले ने पत्र परिषद में की है।
इंगले ने कहा कि 30 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर मैदान से यह मोर्चा निकाला जाएगा। उन्होंने अमरावती जिले समेत राज्य से लोकसभा पर चुने गए सांसदों के भूमिका पर भी नाराजगी जताई। कहा कि अगर राज्य के जनप्रतिनिधियों ने किसान, खेत मजदूर, आदिवासी व दलितों की समस्याएं केंद्र तक पहुंचाई होती तो आज यहां की जनता को संसद पर मोर्चा निकालने की नौबत नहीं आती। अनेकों जरूरतमंद गरीब मराठा, ओबीसी, भूमिहीन और बेरोजगारों की समस्या की ओर अनदेखी होने से वे त्रस्त हैं। इस समय बगैर सात-बारह किसान संगठन के प्रदेशाध्यक्ष विलास पवार ने फासे पारधी समाज पर होनेवाले अन्याय का मुद्दा भी पत्र परिषद में उपस्थित किया। वहीं अनुसूचित जनजाति में आनेवाले कोलाम समाज का जीवन वन भूमि पर निर्भर है। किंतु वन अधिकारी उन्हें बार-बार नोटिस देकर त्रस्त कर रहे हंैआदि मुद्दे 30 जनवरी को मोर्चे में उपस्थित किए जाएंगे। पत्र परिषद में इंदिरा बोंद्रे, नामदेव आत्राम, डॉ. रेखा फंदारे, राजेंद्र नाईकवाडे, इंदिरा बोंद्रे, उरकुडा गेडाम, शंकर तुमडाम, रविना लोखंडे आदि उपस्थित थे।