आरोप: चार से डेढ़ गुना टैक्स का दावा जनता से धोखा, देशमुख ने लगाए प्रशासन पर आरोप
- विधायक खोडके ने बगैर जीआर निराधार घोषणा की
- फोटो के साथ खबरें जारी कर अपनी पीठ थपथपाने का प्रयास
- कहा, संपत्ति कर मामले में बैठक में निर्णय का हवाला
डिजिटल डेस्क, अमरावती। अमरावती शहर में संपत्ति कर में बेतहाशा बढ़ोतरी के मामले ने अभी भी शहरवासियों का पीछा नहीं छोड़ा है। अब चार नहीं बल्कि डेढ़ गुना ही संपत्ति कर रहेगा। ऐसा दावा विधायक सुलभा खोडके ने किया था। जिप पर पलटवार करते हुए पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने हल्लाबोल कर दिया है। देशमुख कहा है कि विधायक के यजमान के साथ बैठक में निर्णय का हवाला देते हुए फोटो के साथ खबरें जारी कर अपनी पीठ थपथपाने का प्रयास किया गया था। जबकि इस संदर्भ में कोई शासन निर्णय अथवा मनपा प्रशासन की ओर सेे कोई अधिकृत प्रेस नोट भी जारी नहीं किया है।
मनपा द्वारा बढ़ी दरों के नोटिस भेजे थे, उसमें सफाई कर की रकम जोड़कर अब दोबारा संपत्ति कर के बिल नागरिकों को थमाकर भुगतान की सख्ती का जा रही है। इस तरह अमरावती शहर वासियों के साथ शुद्ध धोखा किया गया। देशमुख ने विधायक को यह भी चुनौती दी कि यदि वास्तविकता में संपत्ति कर में नागरिकों को राहत मिली है तो शासन निर्णय जारी कर इसका प्रमाण सिद्ध करें। अन्यथा शहरवासियों को गुमराह किये जाने पर माफी मांगें।
प्रशासक राज की मनमानी चल रही : पार्षद नहीं होने से प्रशासक राज की मनमानी चल रही है। ऐसे में विधायक की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। विधायक चाहे तो इस अन्यायकारी दरवृद्धि से मुक्ति मिल सकती थी। लेकिन करना कुछ नहीं और केवल गुमराह कर अपना गाजा बाजा करना कहां तक उचित है।
संपत्ति कर में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी की : पूर्व पालकमंत्री डॉ. देशमुख के अनुसार महानगर पालिका में बॉडी अस्तित्व में नहीं है। मनपा ने प्रशासक राज में मनमानी पद्धति से संपत्ति कर में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी की। खुले प्लॉट पर भी कर लगाकर नागरिकों की जेब ढीली करने का प्रयास किया जा रहा है। शहर कांग्रेस ने आक्रामक भूमिका अपनाते हुए लगातार रास्ता रोको, मोर्चा व पांचों जोन कार्यालयों पर एक ही समय आक्रोश मोर्चा निकालकर संपत्ति कर में बेतहाशा दरवृद्धि का विरोध कर प्रशासन को अल्टीमेटम दिया। नागरिकों को इस दरवृद्धि से मुक्त दिलाने की भावना से यह आंदोलन किए गए।
नोटिस में आंशिक छोड़कर कोई बदलाव नहीं : पूर्व मंत्री ने कहा कि शहर में कुल संपत्ति 3 लाख 31 हजार हैं। इसमें 2 लाख 23 हजार स्थायी संपत्ति, 70 हजार से अधिक खुले भूखंड़ है। पिछले पांच वर्षों में नये से 61 हजार संपत्तियां नव निर्मित हैं। इन्हें कोई राहत मिलने का प्रश्न ही नहीं उठता। मनपा प्रशासन द्वारा दिए गए स्पष्टिकरण के अनुसार मूल बिल कम होने से चार अथवा डेढ़ गुना का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। निर्माण कार्य के वर्ष के अनुसार संपत्ति कर की वर्गवारी करने के बाद ही नये बिल तैयार किए जाते हैं। प्रत्यक्ष में संपत्ति धराकों को मनपा द्वारा पहले भेजी नोटिस और नई भेजी जा रही नोटिस में आंशिक छोड़कर कोई बदलाव नहीं है। बल्कि रकम जोड़कर भेजी गई है। जिससे चार गुना से डेढ़ गुना घटने का दावा बेबिनुयाद साबित हो रहा है। संपत्ति कर का विषय नागरिकों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे गंभीर मुद्दे पर वर्तमान जनप्रतिनिधियों में कोई गंभीरता नहीं रहना वास्तविकता से दूर, अनाकलनीय खबरें प्रसारित कर अपनी पीठ थमथपाने में ध्यनता मानना कहां तक उचित है।