प्रतीक्षा: खामियों के चलते यूनिवर्सिटी की पीएचडी पेट परीक्षा अटकी , संशोधक कर रहे इंतजार
- सितंबर 2023 से परीक्षा नहीं ली गई
- नए संशोधकों ने परीक्षा के लिए सभी खामियां पूरी की
- यूनिवर्सिटी के कामकाज पर उठ रहे सवाल
डिजिटल डेस्क, अमरावती। संगाबा अमरावती विद्यापीठ में पिछले चार महीने से आचार्य पदवी पूर्व परीक्षा (पीएचडी प्रवेश परीक्षा) लंबित है। नए संशोधकों ने इस परीक्षा के लिए आवश्यक सभी खामियां पूरी करने के बाद भी सितंबर 2023 से परीक्षा नहीं ली गई है। इस कारण नए संशोधक परीक्षा की तारीख की प्रतीक्षा में लगे हुए हैं। उन्हें परीक्षा का इंतजार है।
हर वर्ष अमरावती, अकोला, बुलढाणा, वाशिम व यवतमाल इन पांचों जिले में पीएचडी पेट परीक्षा का नियोजन किया जाता है। पिछले समय सितंबर 2022 में पीएचडी पेट परीक्षा ली गई थी। अब सितंबर 2023 में यह परीक्षा होना अपेक्षित था। किंतु चार महीनों से इस परीक्षा का कोई भी कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ। जिससे करीब 6 हजार नए संशोधकों को परीक्षा की तारीख की प्रतीक्षा है। अमरावती विद्यापीठ को कायम रूप से कुलगुरु न रहने से महत्वपूर्ण फाइल पेंडिंग है। पीएचडी पेट परीक्षा समान महत्वपूर्ण विषयों का निपटारा नहीं हो पा रहा है।
पत्रकारिता में पहली बार पीएचडी : अमरावती विद्यापीठ में पिछले कुछ वर्षों से पत्रकारिता विषय में पहली बार पीएचडी होगी। इसके लिए आवश्यक रहनेवाले गाइड व अन्य मुद्दों की पूर्तता प्रशासन की ओर से की गई है। किंतु पीएचडी पेट परीक्षा का मुहूर्त नहीं निकलने से इस बार पत्रकारिता विषय में आचार्य पदवी मिलेगी या नहीं इस तरह का प्रश्न उपस्थित हो रहा है।
कुलगुरु के हस्ताक्षर के लिए फाइल भेजी : यूजीसी की नई नीति के अनुसार पीएचडी में कुछ नियमों में बदलाव किए। उसके अनुसार प्रशासन ने दुरुस्ती की है। कॉमर्स शाखा में कुछ बदलाव हुए हंै। आरआरसी भी नहीं हुई। कुल मिलाकर पीएचडी के लिए आवश्यक उन मुद्दों की पूर्तता की गई है। कुलगुरु के हस्ताक्षर के लिए फाइल भेजी गई है। एक-दो दिनों में पीएचडी पेट परीक्षा की तारीख घोषित होगी। -डॉ. प्रसाद वाडेगांवकर, प्र-कुलगुरु, अमरावती, विद्यापीठ
व्यवस्थापन परिषद में हुई थी चर्चा : तत्कालीन प्रभारी कुलगुरु डॉ. येवले के कार्यकाल में व्यवस्थापन परिषद ने पीएचडी पेट परीक्षा के बारे में चर्चा हुई थी। पश्चात यह विषय ठंडे बस्ते में है। विद्यापीठ प्रशासन ने इस महत्वपूर्ण समस्या का निपटारा कर शीघ्र ही नए संशोधकों को न्याय प्रदान करना चाहिए। - डॉ. प्रवीण रघुवंशी, सदस्य, व्यवस्थापन परिषद अमरावती विद्यापीठ